निरधाराको धन राम । हमारे निरधनको धन राम ॥ध्रु०॥
चोर न लेवे घटुही न जावे बखतपर आवे काम । हमा०॥१॥
सोबत बैठत जागत उठत जपना हरीहर नाम । हमा०॥२॥
दिनु दिन होत सवाय सवाय खुटत नहीं एक दाम । हमा०॥३॥
ठाकोर चले नगर दरबारे पास नहीं छदाम । हमा०॥४॥
कहत कबीरा सुन भाई साधु पारसको नहीं काम । हमा०॥५॥