हिंदु धरममें बम्मन आवे । मुस्लमान घर काजी ।
राम रहिम एकही जाने । नही समजे सो पाजी ॥१॥
कबीर कहे मैं कित्ता फिरूं । कोई सुनता नहीं मैं क्या करूं ॥ध्रु०॥
मुसलमान तो करे सुन्ता । हिंदु छिदावे कान ।
दोनो चोर मिल गये यारो । बडे मरत बैमान ॥३॥
कहत कबीर सुन भाई साधु । ऐसा लोगोंका बाना ।
सिधी बात कहनेकू जाऊं । तो सबसे बुरा माना ॥४॥
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