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सुखान्तः
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बकुलमालिनीपरिणयः
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बटुचरितनाटकम्
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मरकतवल्लीपरिणयः
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मल्लिकामारुतम्
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प्रमाणादर्शम्
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दृश्यकाव्यम्
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नाटककर्ता
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अभिमञ्चित
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प्रसन्नचण्डिका
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मञ्चनीय
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tragedy
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सजीवता
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हास्यपूर्ण
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अमञ्चनीय
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कृष्णपण्डितः
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among
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चित्रकथा
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damn
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comedy
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drama
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रूप्
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अधिकृ
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अभिज्ञानम्
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विष्णुपर्व - त्रिनवतितमोऽध्यायः
महर्षी व्यासांनी रचलेला हा महाभारताचा पुरवणी ग्रंथ आहे.
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दिवाकर - झूट आहे सब् !
नाट्यछटा म्हणजे एक प्रसंग, एक पात्र, बोलणेही एकाच पात्राचे, पण दुसया एखाद्या किंवा अनेक व्यक्तींशी ते पात्र बोलते आहे असा देखावा, आणि त्यातून मनोगत व्यक्त करण्याची पद्धत.
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plot
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अध्याय ३३८ - नाटकनिरूपणम्
अग्निपुराणात त्रिदेव – ब्रह्मा, विष्णु, महेश आणि सूर्य ह्या देवतांसंबंधी पूजा-उपासनाचे वर्णन केलेले आहे.
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represent
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उत्पत्तिप्रकरणं - सर्गः १०२
योगवासिष्ठः
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भूमिखंडः - अध्यायः ७६
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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रक्ष्
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काव्यालंकारः - प्रथमः परिच्छेदः
प्रस्तुत काव्यालंकार ग्रंथ सातव्या शताब्दीत लिहीला गेला.
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दशरूपकम् - प्रथमः परिच्छेदः
'दशरूपकम्' नाट्यशास्त्रातील दशरूप लक्षण आणि त्यातील विशेषतांचे प्रतिपादन करणारा ग्रंथ आहे.
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यन्त्रविधानं नामैकत्रिंशोऽध्यायः - ५१ ते १००
समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी।
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काव्यालङ्कारः - प्रथमः परिच्छेदः
काव्यालङ्कारः
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play
Meanings: 55; in Dictionaries: 11
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खण्डः ३ - अध्यायः ०१७
विष्णुधर्मोत्तर पुराण एक उपपुराण आहे. अधिक माहितीसाठी प्रस्तावना पहा.
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तिष्यसन्तानः - अध्यायः ५९
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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त्रेतायुगसन्तानः - अध्यायः २८१
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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दशरूपकम् - तृतीयः परिच्छेदः
'दशरूपकम्' नाट्यशास्त्रातील दशरूप लक्षण आणि त्यातील विशेषतांचे प्रतिपादन करणारा ग्रंथ आहे.
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बृहत्संहिताः - अध्याय १०३
’बृहत्संहिता’ ग्रंथात वास्तुविद्या, भवन निर्माण कला, वायुमंडळाची रचना, वृक्ष आयुर्वेद इ. विषय अंतर्भूत आहेत.
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त्रेतायुगसन्तानः - अध्यायः २६८
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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तिष्यसन्तानः - अध्यायः ७२
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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संकेत कोश - संख्या ४
हिंदू धर्मात असे अनेक संकेत आहेत ,जे आपल्या जीवनात मोलाचे कार्य बजावतात .
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वेणीसंहारः - प्रथमोऽङ्कः
भट्ट नारायण संस्कृत के महान नाटककार थे। वे अपनी केवल एक कृति वेणीसंहार के द्वारा संस्कृत साहित्य में अमर हैं।
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नाट्यशास्त्रम् - अथ पञ्चमोऽध्यायः
भरत मुनींनी नाट्य शास्त्राची निर्मिती प्रत्यक्ष ब्रह्मदेवाच्या सांगण्यावरून केली असा समज आहे .
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ३७२
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः १९४
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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वेणीसंहारः - षष्ठोऽङ्कः
भट्ट नारायण संस्कृत के महान नाटककार थे। वे अपनी केवल एक कृति वेणीसंहार के द्वारा संस्कृत साहित्य में अमर हैं।
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