Dictionaries | References B Bhâminîvilâsa Bhâminîvilâsa written by Jagannātha, who was also known as Jagannātha Paṇḍita or Jagannātha Paṇḍitarāja, or Jagannatha Pandita Rayalu, was a famous poet and literary critic who lived in the 17th century.;Bhāminī-vilāsa Variations : Bv.; Bv. ; Bhām. | Show All मुच् मुदिर मुद्रयति मूर्च्छा मृग मृत मृतक मृद्वी मृषा मेदिनीधर मौनम् मौलि म्लै यति यदवधि यदीय या रचनम् रत्नम् रद रभस रमणी रमणीय रमा रम् रम्यरूप रशना रस रसा रसाल रस् राका राकेन्द्र राग राघव राजन् राजि रामा रीति रुचि रोलम्ब रोष लतिका लशु लास्यम् लिप्सा लिह् ली लुठ् लॄ लोक लोकंपृण लोकम्पृण लोकाधिक वंश वंशभव वक्षस् वक्षोज वक्षोजता वदनम् वदान्य वनिता वराटिका वरेण्य वर्तन वर्ति वर्षानदी वल्गु वल्ग् वशंवद वशंवदित वह् वाचंयम वाणी वात्या वान्त वामा वारणकर वारि वार् वास वासना विकच विकल विकलय विकसित विटपिन् विद् विद्यासद्मन् विद्रु विधुर विना विपरीत विपाक विपाटित विमार्ग वियोगिनी विरच् विरम् विरल विरस विराज् विलोचनम् विवश विविच विवृ विवेक विवेकभाज् विशृङ्खल विश्व विश्वतस् विश्वम्भराधीश्वर विषम् विषय विषाद विष्वद्र्यच् विसृज् वीणा वृंत वृत् वृन्दारक वृन्दारण्य वृष्णिवरेण्य वेतण्ड वेल्ल् वैश्रवण वैश्वानर व्यग्र व्यत्यस्त व्यानम्रीकृ व्यापृति व्यासङ्ग व्रज शतकोटि शपथ शम् शम्बररिपु शम्बाकृ शाण शान्ति शारद शाला शाल्मलि शिखा शिरस् शिरोधार्य शिवा शी शील् शूक शेष शैवालिन् शोणाधर शौभिक श्रि श्वन् संग्रामाङ्गन संदोह संबोधनम् संशी संसरणम् संसृति सकलेवर सत् सदस् सद्मन् सद्यस् सपक्ष समभाव समुदञ्च् समुपागत समुल्लस् सम्मदिन् सम्मुखय सरजस्क सरस सरसिरुहसूनु सरसी सरस् सरोरुहदृश् सर्व सर्वकष सर्वाधिक सलिलभर सविध साकम् साचिस्मित साजात्यम् साधीयस् साय सारङ्गजदृश् सारस सितयामिनी सिता सिद्धौषध सुखसाधन सुम सुरतरु सुरस सुरस्रोतस्विनी | Show All Folder Page Word/Phrase Person Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP