पुंडरीक n. (सू.इ.) इक्ष्वाकुवंश का एक राजा । इसे पुंडरिकाक्ष भी कहते थे
[पद्म. सृ.८] । यह नभ राजा का पुत्र था । इसे क्षेमधन्वन अथवा क्षेमधृत्वन् नामक पुत्र थे (क्षेमधृत्वन पुंडरिक देखिये) ।
पुंडरीक II. n. कश्यप वंश का एक नाग, जो पाताललोक में रहता था (म.उ.१०३.१३, बभ्रुवाहन देखिये) ।
पुंडरीक III. n. यम की सभा का एक सभासद
[म.स.८.१४] ।
पुंडरीक IV. n. एक तीर्थसेवी ब्राह्मण, जिसका नारद से ‘सर्वोत्तमतत्व’ के संबंध में संवाद हुआ था
[म.अनु.१८६.३] ;
[पद्म. उ.८०] । इसे भगवान् नारायण का प्रत्यक्ष दर्शन हुआ था, एवं उसके साथ परमधाम की प्राप्ति भी हुयी थी
[म.अनु.१२४] ।
पुंडरीक IX. n. एक भगवद्भक्त । यह विदर्भ नगर के मालव नामक ब्राह्मण का भतीजा था । इसके घर विष्णु एक मास तक रहा था । इसका भरत नामक एक दुष्टचरित्र भाई था । भरत के मृत्योपरांत, इसने पुष्करतीर्थ में उसका क्रियाकर्म किया, जिस के कारण भरत का उद्धार हुआ
[पद्म. उ.२१५.] ।
पुंडरीक V. n. एक दिग्गज
[म.द्रो.१२१.२५ बंबई प्रत] ।
पुंडरीक VI. n. एक राजा, जो अम्बरीष राजा का मित्र था । इन दोनों ने अधर्म का आचरण किया । बाद में पश्चाताप कर के इन्होंने जगन्नाथ की आराधना की, जिस कारण इन्हें भगवान् का प्रत्यक्ष दर्शन हुआ, एवं मोक्ष के प्राप्ति हुयी
[स्कंद. २.२.४-५] ।
पुंडरीक VII. n. नागपुर का नाग राजा । इसके दरबार में ललित नामक एक गायक था । ‘कामदा एकादशी’ का व्रत करने के कारण इसका उद्धार हुआ
[पद्म. उ.४०] । ‘कामदाएकादशी’ का माहात्म्य कथन करने के कारण इसकी कथा दी गयी है ।
पुंडरीक VIII. n. एक भगवद्भक्त, जिसका ‘ॐ नमो नारायणाय’ मंत्र से उद्धार हुआ । अंत में विष्णु इसे अपने साथ वैकुंठ ले गया
[पद्म. उ.८१] ।
पुंडरीक X. n. ०. कुरुक्षेत्र के कौशिक ब्राह्मण के सात पुत्रों में से एक ‘(पितृवर्तिन् देखिये) ।