हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|भजन|भजनामृत|वियोग| दरस बिनु दूखण लागै नै... वियोग मोहे तज कहाँ ताज हो ... आव आव भगतोंका भीड़ी आय... भूल बिसर मत जाना कन्ह... दरस म्हारे बेगि दीज्यो... अरज म्हाँरी जाय कहीज्य... नातो नामको जी म्हाँसू ... साँवरिया अरज मीरा की ... म्हाने साची बताओ दीनान... प्रभुजी तुम दर्शन बिन ... रामा रामा रटते रटते ब... थे तो पलक उघाड़ो दीनान... कबहूँ मिलोगे दीनानाथ !... निशि दिन बरसत नैन हमा... अँखियाँ हरि -दरसन की प... ऊधो ! मधुपुरका बासी । ... आली रे ! मेरे नैणाँ ब... म्हारे जनम मरणरा साथी ... आज्यो आज्यो जी साँवरिय... बनमें देख्या दोय बनवास... राम मिलणरो घणो उमावो ,... कोई कहियो रे प्रभु आव... थाँ न काँई काँई कह स... ऐ श्याम ! तेरी बँसरी ... थे तो पलक उघाड़ो दीनान... दरस बिनु दूखण लागै नै... किशोरी मोहे कब अपनावोग... तुम बिन मेरी कौन खबर ... वियोग - दरस बिनु दूखण लागै नै... भगवद्वियोगकी पीडाका चित्रण ’वियोग’ शीर्षकके अंतर्गत पदोंमें है । Tags : bhajankirtanकीर्तनभजनहिंदी वियोग Translation - भाषांतर दरस बिनु दूखण लागै नैन । जबसे तुम बिछुड़े प्रभु मोरे कबहु न पायो चैन ॥ सबद सुणत मेरी छतियाँ काँपै मीठे लागैं बैन । बिरह कथा काँसूँ कहूँ सजनी बह गई करवत ऐन ॥ कल न परत पल हरि मग जोवत भई छमासी रैन । मीराके प्रभु कब र मिलोगे दुख मेटण सुख दैन ॥ N/A References : N/A Last Updated : January 30, 2018 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP