आव आव भगतोंका भीड़ी आयाँ सरसीरे, मोहन बेगो आव ।
घोर घटा म्हारे शिर पै छाई सूजत नहिम किनारा रे ।
डगमग डोले नाव किनारे, पार लगाओ रे ॥१॥
जायें कहाँ अब तुम ही बताओ, तुम बिन कौन हमारा रे ।
दुखियोंका दुख दूर करन को, तुम ही सहारा रे ॥२॥
एक बार भारत में फिर से, आजा कृष्ण मुरारी रे ।
जल्दी लो अवतार जगत में हो उजियारा रे ॥३॥
गोकुल वाला गउओंका प्यारा तुम बिन कौन रखवारा रे ।
बिगड़ी आन सुधारो वंकट दास तुम्हारा रे ॥४॥