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आली रे ! मेरे नैणाँ ब...

वियोग - आली रे ! मेरे नैणाँ ब...

भगवद्वियोगकी पीडाका चित्रण ’वियोग’ शीर्षकके अंतर्गत पदोंमें है ।


आली रे ! मेरे नैणाँ बाण पड़ी ॥

चित चढ़ी मेरे माधुरी-मूरत, उर बिच आन अड़ी ।

कबकी ठाढ़ी पंथ निहारुँ, अपने भवन खड़ी ॥१॥

कैसे प्राण पिया बिनु राखूँ, जीवन-मूल-जड़ी ।

‘मीरा’ गिरधर हाथ बिकानी लोग कहें बिगड़ी ॥२॥

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Last Updated : January 30, 2018

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