संस्कृत सूची|पूजा विधीः|प्रतिष्ठारत्नम्| होमविधान प्रतिष्ठारत्नम् अनुक्रम श्रीदेव्यथर्वशीर्षम् मंडपरचना प्रतिष्ठा संबंधित चिंतन अग्निसूक्तम् विष्णुसूक्तम् प्रतिष्ठा पूर्व चिंतन प्रतिष्ठा सामग्री सूचि फलहोम मंत्रों का मुखपाठ देवता गायत्री मंत्र संक्षिप्तग्रहयज्ञप्रयोग स्वस्तिपुण्याहवाचनम् सप्तवसोर्द्धारा मंडपकरणम् संक्षिप्तयज्ञोपवीतधारणविधि: हिरण्यगर्भसूक्तम् पवमानसूक्तम् गणेशमंत्रा प्राणप्रतिष्ठापनम् क्षेत्रपालनामावलि ब्राम्हणवरणम् कुशकंडिका दिग्रक्षणम् प्राणायाम कंकणबंधनम् पुनर्जलमादाय मधुपर्क गोदानम् ब्राह्मणवरणम् गाणपत्यवरणम् ब्राह्मण प्रार्थना प्रधानदेवतास्थापनम् मंडपपूजनम् देवता अथ तोरणपूजनम् वास्तुदेवतास्थापनम् वास्तुमूर्तौ चतु:षष्टि योगिनी पूजनम् योगिनीदेवताआवाहन क्षेत्रपालदेवताआवाहन अष्टोत्तरशतभैरवनामस्तोत्रम् श्वेतपरिधौ रक्तपरिधौ कृष्णपरिधौ ब्रम्हादीनां पायसबलि: भद्रमण्डलदेवतास्थापनम् अथ जलयात्राप्रयोग: अथ कलशस्थापनम् वारुणमंडलदेवतास्थापनम् पंचगव्यकरणम् कुंडस्थदेवतापूजन प्रयोग योन्यावाहनम् भूमिकूर्मानन्तपूजनम् अथ पञ्चभूसंस्कारपूर्वकाग्निप्रतिष्ठापनप्रयोग: अथ वैकल्पिकपदार्थावधारणादिकम् अथ कुशकण्डिका प्रारंभः वराहुति अग्निस्थापन एवं ग्रहहोम व्याहृतिहोम शान्तिकपौष्टिकहोम: कुटीरहोम जलाधिवास: अग्न्युत्तारणम् देवप्रार्थना कौतुकसूत्र बंधन प्रासादवास्तुशान्ति: वास्तुदेवतास्थापनम् वास्तुमंडलदेवताआवहन विशेषश्लोकौ ध्रुवमंत्र प्रमाणसंग्रह वास्तुनिक्षेप विधि प्रासादप्रवेश पंचकुंड नवकुंड प्रासादविधानम् अधिवासन प्रासादोत्सर्ग प्रासादशिखर कलश प्रतिष्ठा ध्वजोच्छ्रयणम् अग्निसूक्तम् मूर्ति मूर्तिपति लोकपाल होम वेदादि होम शिवपरिवार विष्णुपरिवार सूर्यपरिवार देवीपरिवार रामपरिवार वाहन मंत्र आयुध मंत्र कुछ मंत्र स्नानमंडपशुद्धि मध्यमवेदीस्नपन दशलोकपाल कलश निद्राकलश स्थापन न्यास विधि द्वादशाक्षरमन्त्रेण न्यास तत्पुरुषकलाचतुष्टायन्यास: वामदेव: त्रयोदशाकलान्यास: पिंडिकास्थापन प्रासाददिक्षु होम प्रतिमारक्षणम् विशेषमंत्र होमविधान स्थापितदेवताहोम: मंडप वास्तुमंडलदेवतानां होम: सर्वतोभद्रमण्डलदेवतानां होम: द्वितीयावरणदेवताहोम:- फलहोम: प्रधानदेवतापूजनम् प्रधानदेवताबलि: अधिवासनम् अथ संक्षेपेण चलप्रतिष्ठाप्रयोग:- बौधायनोक्त चलप्रतिष्ठा अग्निस्थापनम होमविधान सर्व पूजा कशा कराव्यात यासंबंधी माहिती आणि तंत्र. Tags : poojavidhiपपूजाविधी होमविधान Translation - भाषांतर पूर्व कुंड में देवता के नाम सहित हृदयमंत्र से आज्य की बीस आहुति दें - ॐ विष्णवे नमो हृदयाय नम: स्वाहा ॥ अथवा ॐ इंद विष्णु, स्वाहा हृदयया नम: स्वाहा ॥ अगर शिव हो तो - ॐ शिवाय नम: हृदयाय नम: स्वाहा ॥ इस प्रकार जितने स्थाप्यदेवताहो उनके नाममंत्र सहित हृदयमंत्र अथवा वैदिक मंत्र सहित हृदय मंत्र से आज्य की बीस आहुति दें ।दक्षिण कुंड में शिरोमंत्र से -ॐ विष्णवे नम: शिरसे स्वाहा - बीस बार घृतकी आहुति दें - ॐ शिवाय नम: शिरसे स्वाहा । इत्यादि पश्चिम कुंड में - शिखामंत्र से - ॐ विष्णवे नम: शिखायै वषद स्वाहा । आज्य की बीस आहुति दें । अन्य देवता के लिए भी ।उत्तर कुंड मेम - कवच मंत्रसे - ॐ विष्णवे नम: कवचाय हुम् स्वाहा । आज्य की बीस आहुति । अन्य देवता के लिए भी । आचार्य कुंड में - नेत्र मंत्रसे - ॐ विष्णवे नम: नेत्रत्रयाय वौषट स्वाहा । आज्य की बीस आहुति । अन्य देवता के लिए भी । पूर्व कुंड में अस्त्रमंत्र से - ॐ विष्णवे नम: अस्त्राय फट स्वाहा । आज्य की बीस बाहुति । अन्य देवता के लिए भी ।अनंतर आयुधमंत्र से होम करें - शिव प्रतिष्ठा में - ॐ वज्राय स्वाहा । शक्तये० दंदाय० खडगाय० पाशाय० अंकुशाय० गदायै० त्रिशूलाय० ८-८ आहुति ।विष्णुप्रतिष्ठा में - ॐ खडगाय० शार्डगाय० मुसलाय० हलाय० चक्राय० शंकाय० गदायै० पदमाय० ।देवीप्रतिष्ठा में - ॐ खडगाय० चक्राय० गदायै० इषवे० चापाय० परिघाय० शुलाय० भुशुण्डये० शंखाय० । अन्यदेवता के अयुध अनुसार होम करें ।अनंतर प्रार्थना क्ररें - लोकानुग्रहहेत्वर्थं स्थिरोभव सुखासन । सान्निध्यं हि सदा देव प्रत्यहं परिवर्तय ॥ मा भूत्पऊजाविरामोऽस्मिन यजमान: समृध्यताम् । संपालय सतां राष्ट्रं सर्वोपद्रवर्जितम ?। क्षेमेण वृद्धिमतुलांसुकमक्ष्यय्यमश्नुताम । इत संप्रार्थ्य विधिना देवं साअंगं तमार्चयेत् ॥प्रासाद के बाहर इन्द्र आदि परिवार देवता की नाममंत्र सेस्थापना करें । विष्णुके परिवार में चण्ड, प्रचण्ड, जय, विजय आदि, शिव के लिए नंदी, महाकाल. भृंगी गणेश आदि, सूर्य के लिए दंड, पिगल, माठर, असण आदि की प्रतिष्ठा करें ।सपरिवारशिवप्रार्थना - यस्य सिंहा रथे युक्ता व्याघ्रा भूतास्तथोरगा: । ऋषयो लोकपालाश्च देव: स्कंदस्तहा वृष ॥ प्रिया गणा मातरश्च सोमो विष्णु: पितामह: । नागा यक्षा: सगन्धर्वा ये च दिव्या नभश्चरा: ॥ तमहं त्रयक्षमीशानं शिवं रुद्रमुमापतिम् । आवाहयामि अगणं सपत्नीकं वृषध्वजम् ॥ आगच्छ भगवन् रुद्रानुग्रह य शिवो भव । शाश्वतो भव पूजां में गृहाण त्वं नमो नम ॥देवमहापुजा- स्वागतं अनुस्वागत्त भगवते नमो नम:. देवाय सगणाय सपरिवाराय प्रतिगृहणातु भगवन् आसनम मंत्रपूतं पाद्यं अयमर्घ: आचमनीयं । ब्रम्हाणाभिहितं नमो नम: स्वाहा ।पूजा के विविध मंत्रों से उपाचर अर्पण करें । पंचामृत उद्वर्तन, गंधोदक आदि से स्नान करायें । पश्चात् ॐ यज्जाग्रतो० ॐ ततोविराड० ॐ सहरस्रशीर्षा० ॐ अभि त्वा शूर नोनुमो दुग्धाऽइव धेनव: । ईशानमस्य जग: स्वर्द्दशमीशानमिन्द्र तस्थुष: ॥ ॐ पुरुषऽएवेद० ॐ त्रिपादुर्ध्व० ॐ येनेदं भूतं० ॐ नन्वावाँ २ ऽ अन्यो दिव्यो न पार्थिवो न जातो न जनिष्यते । अश्वायन्तो मघवन्निन्द्र वाजिनो गव्यन्तस्त्वा हवामहे ॥ इन आठमंत्रों काजप करते जल से देवका चरणस्पर्श करें । पुन: आठ मंत्रजप क्र नाभि, पुन: आठ मंत्रपज कर वक्ष, और पुन: आठ मंत्रजप कर शिर का स्पर्श करें । पश्चात लिंगमंत्र से प्रार्थना कर - भगवन् देवदेवेश धर्मकामार्थमोक्षद । विद्याविद्येश्वरै रुद्रै: गणेशैर्लोकपालकै: ॥ देवदानवगंधर्वै: यक्षैश्च किन्नरै: सह । अस्मिन् लिंगे महादेव सर्वदा वस वै प्रभो ॥ पुसां अनुग्रहार्थाय पृथिव्यां स्वेच्छया प्रभो । परावरेण भावेनस्थातव्यं सर्वदा त्वया ॥ सर्वविघ्नहर: पुंसां सर्वदु:खहर: सदा । सर्वदा यजमानस्य इच्छासंपत्करो भव ॥ नमस्ते सर्व धर्माय संतोष विजितात्मने । ज्ञानविज्ञानतृत्पाय ब्रम्हातेजोऽभिशालिने ॥ नमस्ते शुद्धदेहाय पुरुषाय महात्मने । स्थापकानां मूर्तिपानां शिल्पिना च विभो सदा ॥ ग्रामदेशनृपाणां च शांतिर्भवतु सर्वदा । पूजकाराधकानां च भक्तानां भक्तवत्सल ॥ सर्वेषां च जगन्नाथ इच्छासिद्धिप्रदो भव । चन्द्रार्कावनिपर्यन्तं लिंगेऽस्मिन परमेश्वर । स्थातव्यं उमया सार्धं सर्वलोकानुकम्पया । यावत् चन्द्रश्च सूर्यश्च यावत् तिष्ठति मेदिनी ॥ तावत् त्वयात्र देवेश स्थातव्यं स्वेच्छया विभो ॥ अनंतर पुरुषसूक्त एवं अन्य मंत्रों से देव की षोडशोपचार पूजा करें स्तुति करते नमस्कार - ज्ञानतोऽज्ञानतो वापि यावत् विधिरनुष्ठित; । स सर्व: त्वत्प्रसादेन समग्रो भवतान्मम ॥देवका नामकरण - व्यवहार के लिए देवका नाम कर्ता से संबंधित रखें । विष्णुके लिए. स्वामी । नारायण, शिव के लिए. ईश्वर (दामोदरेश्वर, मुक्तेश्वर.) सूर्य के लिए. आदित्य, देवी के लिए. ईश्वरी, गणेश के लिए. विनायक ।नैमित्तक दोष दे लिए प्रायश्चित - प्रतिमास्थापनाजिस दिशा में की हो उस दिक्पाल मंत्र से शमी - पलाश समिधा से अथवातिल से १०८ आहुति दें प्रतिष्ठा समय अमंगल ध्वनि अथवा घोरशब्द हो अथवा कुछ तुट जाय तो शांतिके लिए मूलमंत्रकी १०८आहुति दें ।प्रतिष्ठाहोम - देवता दे नाम से निम्न मंत्रों से १०८ आहुति दें । ॐ शिवाय स्थिरो भव स्वाहा । ॐ शिवाय अप्रमेयो भव स्वाहा । ॐ शिवाय जनादिबोधो भव स्वाहा । ओज्म शिवाय नित्यो भव स्वाहा । ॐ शिवाय सर्वगो भव स्वाहा । ॐ शिवायाविनाशो भव स्वाहा । ॐ शिवाय सर्वगो भव स्वाहा । ॐ शिवाय अविनाशो भव स्वाहा । ॐ शिवाय अक्लमोभव स्वाहा । अगर विष्णु हो तो - विष्णवे, हनुमान हो तो हनुमते, देवी के लिए स्त्रीलिंगीं प्रयोग करें - ॐ देव्यै स्थिरा० अप्रमेया० अनादिबोधा० नित्या० सर्वगा० अविनाशिनी० अक्लमा० ऐसे व्याकरण अनुसारी परिवर्तन करें । अघोरमंत्रहोम - ॐ अघोरेभ्यो० मंत्र से १०८ आहुति सर्वप्रकार की शांत्यर्थ दें । N/A References : N/A Last Updated : May 24, 2018 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. 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