संस्कृत सूची|पूजा विधीः|प्रतिष्ठारत्नम्|
विशेषमंत्र

विशेषमंत्र

सर्व पूजा कशा कराव्यात यासंबंधी माहिती आणि तंत्र.


विष्णू के लिए - अतसीपुस्पसंकाशं शंकचक्रगदाधरम्‌ । संस्थापयामि दवेशं देवो भूत्वा जनार्दनम्‌ ॥
रुद्र के लिए - त्रयक्षं च दशबाहुं च चंद्रार्धकृतशेखरम । गणेशं वृषभस्थम्च स्थापयामि त्रिलोचनम्‌ ॥
ब्रम्हा के लिए - ऋषिभि: संस्तुतं देवं चतुर्वक्त्रं जटाधरम । पितामहं महाप्राज्ञ स्थापयाम्यम्बुजोदभवम ॥
सूर्य के लिए - सहस्त्रकिरणं शान्तं, अप्सरोगणसेवितम्‌ पदमहस्तं महाबाहूं स्थापयामि दिवाकरम्‌ ॥
पश्चात देव के हृदय का स्पर्श करते - विष्णु के लिए पुरुषसूक्त, शिव के लिए रुद्रसूक्त, ब्रम्हा के लिए ब्रम्हासूक्त (यजुर्वेद - अध्याय - २२ सूर्यके लिए मैत्रसूक्त, अन्य देवता के लिए वैसे अन्य सूक्तका जप करें ।
सुक्तजप पश्चत ॐ भू: ॐ भुव: ॐ स्व: ॐ मह: ॐ जन: ॐ तप: ॐ सत्यम्‌ ॐ तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गोदेवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयामॐ आपो ज्योती रसोऽमृतं ब्रम्हा भूर्भुव: स्वरोम ॥ जप करें । अनंतर प्राणसूक्त का
जप करें । गर्भाधानादि संस्कार के लिए प्रतिसंस्कार आठ समस्त व्याहृति - ॐ भू: भुव: स्व: मह: जन: तप: सत्यम का होम करे । षोडशप्रणव  जप करें ।
देवता के सान्निध्य की भावना - नमस्ते त्यक्तसंगाय संतोषपरमात्मने । ज्ञानविज्ञानरूपाय ब्रम्हातेजोऽनुशालिने ॥ गुणातिक्रान्तवेगाय पुरुषाय महात्मने । अव्यक्ताय पुराणाय विष्णो संनिहितो भव ॥ भगवन देवदेवेश त्वं पिता सर्वदेहिनाम । त्वया व्याप्तमिदं सर्वं जगत्‌ स्थावरजंगमम्‌ ॥ त्वमिन्द्र: पावकश्चैव यमो निऋतिरेव च । वरुणो मारुत: सोम ईशान: प्रभुरव्यय: ॥ येन रूपेण भगवन्‌ त्वया व्याप्तं चराचरम्‌ । तेन रूपेण देवेश अर्चाया: सन्निधौ भव ॥ सर्वमंत्रादिसंयुक्तो लोकानग्रहकाम्यया । अत्रार्चायां महादेव भव संनिहित: सदा ॥ सूर्याचन्द्रमसौ यावत यावत तिष्ठति मेदिनी । तावत्‌ त्वयात्र देवेश स्थातव्यं स्वेच्छया प्रभो ॥ प्रतिष्ठामयूख में स्थाप्य देवता के परिवार की  सूचि इस प्रकार है - रुद्रपरिवार - नंदि, महाकाल, वृषण, भृंगि, रिटि, स्कन्द, उमा, विनायक,  विष्णु ब्रम्हा, जयंत, इन्द्र, अग्निअ, यम, निऋति, वरुण, वायु, सोम, ईशान अप्सरागण, गंधर्व, गुहयक, विद्याधर, आदि ।
ब्रम्हा परिवार - विष्णुआदि, विष्णुपरिवार - ब्रम्हा आदि  ।  इस प्रकार चंडी, विनायक आदि के परिवार की कल्पना करें ।

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Last Updated : May 24, 2018

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