संस्कृत सूची|पूजा विधीः|प्रतिष्ठारत्नम्|
कुछ मंत्र

कुछ मंत्र

सर्व पूजा कशा कराव्यात यासंबंधी माहिती आणि तंत्र.


प्रतिष्ठामें कभी कभी अनेक देवता की मूर्तियौ होती है तदर्थ कुछ मंत्र :--

ॐ अग्निर्देवता वातो देवता० ॐ सोम राजानमव्रसे० ९।२६ ॐ अर्घमणं बृहस्पतिं० ९।२७ ॐ प्र नो यच्छ त्वर्यमा० ९।२९ ॐ यो न: पिता जनिता० १७।२७ ॐ प्रातरग्निं० ३४।३४

विशेषमन्त्रा :--- ॐ अय सहस्रमृषिभि: सहस्कृत: समुद्र इव पप्रथे । सत्य: सोऽअस्य महिमा गृणे शवो यज्ञेषु विप्रराज्ये ॥ ॐ  ॐ प्रैतु ब्रम्हाणस्पति: प्र देव्येतु सूनृता । अच्छा वीरं नर्यं पंक्तिराधसं देवा यज्ञं नयन्तु न: ॥ ॐ देवं देवं वोऽवसे देवं देवमभिष्टये
। देवं देवं हुवेम वाजसातये गृणन्तो देव्या धिया ॥ ॐ अच्छित्रस्य ते देव सोम सुर्वार्यस्य रायस्पोषस्य ददितार: स्याम । सा प्रथमा सँस्कृति र्विश्ववारा स प्रथमो वरुणो मित्रोऽ अग्नि: ॥ ॐ वेनस्तत्‌ पश्यन्‌ निहितं गुहा सद्यत्र विश्चं भवत्येकनीडम्‌ ।
तस्मिन्निद सं च वि चैति सर्व स ओत: प्रोतश्च विभू: प्रजासु ॥ ॐ न तस्य प्रतिमा अस्ति यस्य नाम महद्यश: । हिरण्यगर्भऽ इत्येष मा मा हि सीदित्येषा यस्मान्न जात‌ऽ इत्येष: ॥
 
प्रथमवेदी

प्रथम पंक्ति कलश - ६ गंधोदक - ५ भस्म - ४ गोमय - ३ गोमूत्र - २ कषाय - १ मृत्तिका
द्वितीय पंक्ति कलश - ६ स्थपति - ५ गंधोदक - ४ गंधोदक - ३ गंधोदक - २ गंधोदक - १ गंधोदक
दूर्वाक्षत पूजा मधुघृत - वस्त्राच्छादन, नेत्रोन्मीलन, भोजन, आदर्श, मधुघृत लेप

मध्यवेदी

प्रथम पंक्ति कलश - ६ गंधोदक - ५ भस्म - ४ गोमय - ३ गोमूत्र - २ कषाय - १ मृत्तिका
द्वितीय पंक्ति कलश - - - ५ गंधोदक - ४ गंधोदक - ३ गंधोदक - २ गंधोदक - १ गंधोदक

उत्तरवेदी

गर्भोदक - क्षारोदक - क्षीर
कलश - कलश - कलश

स्वादूदक - कलश नाही - दधि
कलश - कलश नाही - कलश

सुरोदक - इक्षुरस - घृत
कलश - कलश - कलश

शर्करा - मधु - घृत - दाधे - दग्ध - पंचगव्य - भस्म - गोमूत्र - गोमय - मृत्तिका
३पल - ३पल - ७पल - २०पल - १६पल - ३पल - मुष्टि - १२पल - १०पल - ८पल
जल - जल - जल - जल - जल - जल - जल - जल - जल - जल
नाही - शर्करा - नाही - मधु - नाही - घृत - नाही - दधि - नाही - पय
नाही - जल - नाही - जल - नाही - जल - नाही - जल - नाही - जल
नाही - कषाय - नाही - कषाय - नाही - कषाय - नाही - कषाय - नाही - कषाय
रत्न - दूर्वा - पल्लव - सर्वौषधि - सहस्त्रधारा - धान्य - गोशृंग - सुवर्ण - अष्टफ़ल - सितपुष्प
नाग केसर - पलाश - बिल्व - वट - आम्र - प्लक्ष - अशोक - जंबू - शाल्मली - कदंब
नाही - नाही - लौकिक - नाही - लौकिक - नाही - लौकिक - नाही - लौकिक - नाही
नाही - नाही - शुद्ध - नाही - शुद्ध - नाही - शुद्ध - नाही - शुद्ध - नाही

स्नपन विधि कलशस्थापन एवं सुचित द्रव्य निक्षेप करें । तद्‌ अतिरिक्त दर्भ, पूजन सामग्री, आच्छादन वस्त्र, प्रोंछान (नेपकीन) तैल, अभ्यंग, उद्धर्तन, यक्षकर्दम, जटामांसी आदि का चूर्ण, मधु, सुवर्णशलाका, रजतपात्र, आदर्श

वेदी :--- नियमानुसार दक्षिणवेदी, मध्यवेदी, एवं उत्तरवेदी पर स्नपन का विधान है ।  एक - दो प्रतिमा में हि यह संभव है । विशाल एवं अनेक प्रतिमाहो तो अधिक चालन न करें परंतु सभी विधान संपादन करें । बडी काष्ठपीठ पर प्रतिमा सुरक्षित रखते स्नपन कराये ।

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Last Updated : May 24, 2018

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