संस्कृत सूची|पूजा विधीः|प्रतिष्ठारत्नम्|
निद्राकलश स्थापन

निद्राकलश स्थापन

सर्व पूजा कशा कराव्यात यासंबंधी माहिती आणि तंत्र.


निद्राकलश स्थापन :--- देवता के मस्तक समीप मूमिपर सुवर्ण सहित जलपूर्ण कलश - ॐ अपो देवा मधुमतीरगृभ्णन्नूर्जस्वती राजस्वश्चिताना: । वाभिर्मित्रावरुणा वभ्यषिञ्चन्‌ वाभिरिन्द्र मनयन्नत्यराती; ॥ मंत्र से रखें ।
प्रतिमा को मधु एवं घृत का अभ्यंग - ॐ आप्यायस्व समेतु ते विश्वत: सोम वृष्णम्‌ । भवा वाजस्य: संगथे ॥ सन्ते पया  सि समु यन्तु वाजा: सं वृष्णान्यभिमातिषाह: । आप्यायमानो अमृताय सोम दिविश्रवा स्युत्तमानि धिष्व ॥ आप्यायस्वमदिन्तम सोम विश्वेभिर शुभि: । भवा न: सप्रथस्तम: सखा वृधे ॥ तैल सर्षप कल्क से उद्वर्तन - ॐ याते रुद्रशिवा तनू० गंधादि से देवता मंत्र से पंचोपचार पूजन । श्वेतसूत्र देना अथवा कंकणबंधन - ॐ बृहस्पते परिदीया० देवता के पाद, नाभि, वक्ष, शिर स्पर्श - ॐ विश्वतश्चक्षु० देवता के दक्षिण पार्श्व में छत्र, व्यंजन और चामर रखना - ॐ वातो वा मनो वा गंधर्वा: सप्तवि शति: । तेऽअग्रेश्वमयुजँस्ते अस्मिञ्जवमादधु: ॥ चरण में पादुका रखना - ॐ त्रीणि पदा० दोनो बाजु शांतिकुंभ - ॐ आजिघ्रकलशं० आसन, दर्पण, घंटा, भक्ष्य - भोज्य, जलपात्र आदि देव के सामने रखें ।

रक्षाविधान :--- भस्म, दर्भ और तिल से देव की चारों ओर रक्षार्थतीन मंडल बनाकर मंडप के बाहर जाकर प्रतिदिशा में लोकपालों को पूजन पूर्वकबलि दे । (पृष्ठ -१०३) भूतबलि - ॐ त्रयंबकं यजामहे० मंत्रसे भूतों को बलि दे । बलिमंत्र - ॐ पूर्वदिग्‌वासिभ्यो दिक्‌पति दिकभूताधिपति दिग्‌रुद्र दिग्‌मातृ दिकक्षेत्रपालेभ्यो नम: । यह मंत्र सभी दिशाअ के नाम लेकर बोलें ।

N/A

References : N/A
Last Updated : May 24, 2018

Comments | अभिप्राय

Comments written here will be public after appropriate moderation.
Like us on Facebook to send us a private message.
TOP