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द्राक्
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immediately
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अकालहीनम्
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instantly
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forthwith
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right away
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in real time
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at once
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straight off
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like a shot
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straightaway
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directly
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now
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quickly
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rapidly
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apace
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speedily
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chop-chop
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अन्दोलनम्
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शतश्लोकी - श्लोक ८८
’शतश्लोकी’ हा गुरु-शिष्य संवादात्मक आत्मज्ञानाचा उपदेश करणारा ग्रंथ
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presently
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स्राक्
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आन्दोलनम्
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soon
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श्रीवातपुरनाथाष्टकम् - कुन्दसुम बृन्दसममन्दहसिता...
देवी देवतांची अष्टके आजारपण किंवा कांही घरगुती त्रास होत असल्यास घरीच देवासमोर म्हणण्याची ईश्वराची स्तुती होय.Traditionally,the ashtakam is recited in homes, when some one has health or any domestic problems.
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अथ श्रीवेंकटेशी - तिरुपतिस्तोत्रम् ॥
स्वामि श्री भारतीकृष्णतीर्थ यांनी जी देवदेवतांवी स्तुती केली आहे, अशी क्वचितच् इतरांनी कोणी केली असेल.
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दशमस्कन्धपरिच्छेदः - चतुष्पञ्चशत्तमदशकम्
श्रीनारायणके दूसरे रूप भगवान् श्रीकृष्णकी इस ग्रंथमे स्तुति की गयी है ।
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श्रीराघवेन्द्रबन्धमोचनकवचम् - अथ श्रीराघवेन्द्रार्यकवचं...
देवी देवता कवच शारीरिक आणि मानसिक सुरक्षा देते, नकारात्मक शक्ती आणि संकटांपासून वाचवते.
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immediate
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instant
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स्थितिप्रकरणम् - सर्गः २८
योगवाशिष्ठ महारामायण संस्कृत साहित्यामध्ये अद्वैत वेदान्त विषयावरील एक महत्वपूर्ण ग्रन्थ आहे. ह्याचे रचयिता आहेत - वशिष्ठ
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अथ षष्ठोsध्याय:
स्वामि श्री भारतीकृष्णतीर्थ यांनी जी गुरूचरित्राची रचना केली आहे, ती अप्रतिम आहे.
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ४८७
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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द्वितीयाष्टक - पञ्चमोsध्याय:
श्रीमत्परमहंस वासुदेवानंदसरस्वतीस्वामीकृत " श्रीदत्तपुराणम् "
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निर्वाणप्रकरणं - सर्गः २१४
योगवाशिष्ठ महारामायण संस्कृत साहित्यामध्ये अद्वैत वेदान्त विषयावरील एक महत्वपूर्ण ग्रन्थ आहे. ह्याचे रचयिता आहेत - वशिष्ठ
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पञ्चमोsध्याय:
श्रीमत्परमहंस वासुदेवानंदसरस्वतीस्वामीकृत " श्रीदत्तपुराणम् "
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गंगालहरी
भारतात नद्यांना वैदिक काळापासून जीवनदायिनी मानले आहे, आणि त्यांना देवी देवतांच्या रूपात मानून त्यांची पूजा केली जाते.
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ८५
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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सत्यदत्त व्रत कथा - अध्याय दुसरा
योगीश्वर श्रीदत्तप्रभूंचे श्रेष्ठ व पापनाशक असे माहात्म्य, श्रीसत्यदत्तव्रतातून व्यक्त होणारे असून मनुष्यांना तात्काळ सिद्धी देणारे आहे.
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षष्ठाष्टक - प्रथमोsध्याय:
श्रीमत्परमहंस वासुदेवानंदसरस्वतीस्वामीकृत " श्रीदत्तपुराणम् "
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ७३
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः १५
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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द्वितीयाष्टक - षष्ठोsध्याय:
श्रीमत्परमहंस वासुदेवानंदसरस्वतीस्वामीकृत " श्रीदत्तपुराणम् "
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सुभाषितरत्नकोशः - वीरव्रज्या
विद्याकर (१०५०-११३०) एक बौद्ध विद्वान कवि होते. त्यांची कृति 'सुभाषितरत्नकोश' प्रसिद्ध आहे.
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राजनिघण्टु - आनूपादिवर्ग
नरहरि पन्डित रचित राजनिघण्टु ग्रंथ म्हणजे आयुर्वेदातील एक मैलाचा दगड.
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षष्ठाष्टक - तृतीयोsध्याय:
श्रीमत्परमहंस वासुदेवानंदसरस्वतीस्वामीकृत " श्रीदत्तपुराणम् "
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निर्वाणप्रकरणं - सर्गः १६८
योगवाशिष्ठ महारामायण संस्कृत साहित्यामध्ये अद्वैत वेदान्त विषयावरील एक महत्वपूर्ण ग्रन्थ आहे. ह्याचे रचयिता आहेत - वशिष्ठ
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षष्ठाष्टक - षष्ठेsध्याय:
श्रीमत्परमहंस वासुदेवानंदसरस्वतीस्वामीकृत " श्रीदत्तपुराणम् "
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त्रेतायुगसन्तानः - अध्यायः ५५
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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द्वापरयुगसन्तानः - अध्यायः २११
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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