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श्रीवरदलक्ष्मी कथा
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वरदलक्ष्मी,व्रत, पूजा, pooja, vrat,
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सार्थ श्रीसत्यनारायण पूजा व्रत
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सार्थ श्रीसत्यनारायण पूजा Satyanarayan Pooja Vrat
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सार्थ श्रीसत्यनारायण पूजा कथा
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सार्थ श्रीसत्यनारायण पूजा कथा - Shri Satyanarayan Pooja and Katha (Story)
Shri Satyanarayan Photograph for Pooja / श्री सत्यनारायण पुजेसाठी चित्र . Among the kathas that are prevalent in India, 'Shri Satyanarayan Vrat Katha' is the most popular.Satyanarayana vrat is the easiest and most inexpensive way of self-purification and self-surrender at the lotus feet of Hari. One who observes it with full devotion and faith is sure to attain his heart's desire. Our shastras state that during the 'Kalyug,' the fruit that one gets by hearing the 'Satyanarayan Katha' is enormous. The katha is dedicated to Lord Vishnu in his manifestation as Lord Satyanarayan. 'Satya' means truth, 'Nar' means a man and 'Ayan' means a place. Thus the place where truth resides in man is called Satyanarayan. The 'Satyanarayan katha' and the 'vrat' help us overcome vices like lust, anger, greed, attachments and ego
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व्रत करावयाचा विधी
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सौभाग्यवती स्त्रियांनी हे व्रत केल्यास त्याचे उत्तम फळ मिळते. Desires of men, women observing this Vrat, are fulfilled immediately.
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वैभव लक्ष्मी व्रताची कथा
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सौभाग्यवती स्त्रीने हे व्रत केल्यास उत्तम फळ मिळते. Desires of men, women observing this Vrat, are fulfilled immediately.
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रोग हनन व्रत - राजयक्ष्मोपशमनव्रत
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व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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रोग हनन व्रत - उपोदघात
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व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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रोग हनन व्रत - ज्वरहर बलिदानव्रत
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व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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मेधावर्द्धक ग्रहणव्रत
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व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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रोग हनन व्रत - अजीर्णहरव्रत
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व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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रोग हनन व्रत - यक्ष्मोत्पत्ति
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व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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शुभ्र बुधवार व्रत
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बुध ग्रहाला भाग्याचा म्हणजे नशिबाचा अधिपती असे म्हणतात, म्हणून या बुधग्रहाची भक्ती करावी.
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रोग हनन व्रत - ज्वर की जानकारी
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व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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रोग हनन व्रत - गलगण्डहरव्रत
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व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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धारणपारणव्रत
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व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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लोकहितकरव्रत - पापघट दान
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व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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लक्षप्रमामव्रत
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व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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विशिष्ट व्रत - व्रतारम्भकी व्यवस्था
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व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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धर्मशास्त्रानुसार विशेष बातें
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व्रत हिंदू संस्कृति एवं धर्मके प्राण है;व्रतोंपर वेद, धर्मशास्त्रों, पुराणों तथा वेदाङ्गोंमें बहुत कहा गया है ।
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रोग हनन व्रत - विषूचिकोपशमनव्रत
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व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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प्रायश्चित्तव्रत - व्रत १ से ५
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व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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सत्यनारायण व्रत - सामग्री एवं पूजन विधि
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सत्यनारायण व्रतके प्रभावसे मनुष्योंकी आत्मा शुद्ध होती है ।
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रोग हनन व्रत - मूत्रकृच्छ्रहरव्रत
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व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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वैधव्यहर कर्कटीव्रत
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व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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लक्षप्रदक्षिणाव्रत
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व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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रोग हनन व्रत - उदरगुल्महरव्रत
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व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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सत्यदत्त व्रत कथा - अध्याय पहिला
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योगीश्वर श्रीदत्तप्रभूंचे श्रेष्ठ व पापनाशक असे माहात्म्य, श्रीसत्यदत्तव्रतातून व्यक्त होणारे असून मनुष्यांना तात्काळ सिद्धी देणारे आहे.
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प्रदोष व्रत
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व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति, तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है और अंतरात्मा शुद्ध होती है ।
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श्रीदत्तात्रेयप्रार्थना
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योगीश्वर श्रीदत्तप्रभूंचे श्रेष्ठ व पापनाशक असे माहात्म्य, श्रीसत्यदत्तव्रतातून व्यक्त होणारे असून मनुष्यांना तात्काळ सिद्धी देणारे आहे.
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श्री सत्यनारायण भगवान की कथा - चतुर्थ अध्याय
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सत्यनारायण व्रतके प्रभावसे मनुष्योंकी आत्मा शुद्ध होती है ।
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रोग हनन व्रत - जलोदरहरव्रत
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व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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द्वादशमासव्रत
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व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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श्री अनन्त व्रत
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इस अति पुनीत श्री अनन्त व्रत कथा के अनुष्ठान ही से समस्त पापों का विनाश होता है और मनुष्य सुख तथा समृद्धि को प्राप्त होता है ।
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सत्यदत्त व्रत कथा - अध्याय दुसरा
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योगीश्वर श्रीदत्तप्रभूंचे श्रेष्ठ व पापनाशक असे माहात्म्य, श्रीसत्यदत्तव्रतातून व्यक्त होणारे असून मनुष्यांना तात्काळ सिद्धी देणारे आहे.
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रोग हनन व्रत - कुष्ठरोगोपशमनव्रत
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व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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लोकहितकरव्रत - महामारीशमनविधानव्रत
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व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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लोकहितकरव्रत - कृष्णव्रत
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व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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व्रत परिचय तथा नियम
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व्रत हिंदू संस्कृति एवं धर्मके प्राण है;व्रतोंपर वेद, धर्मशास्त्रों, पुराणों तथा वेदाङ्गोंमें बहुत कहा गया है ।
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श्री सत्यदत्तव्रत
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योगीश्वर श्रीदत्तप्रभूंचे श्रेष्ठ व पापनाशक असे माहात्म्य, श्रीसत्यदत्तव्रतातून व्यक्त होणारे असून मनुष्यांना तात्काळ सिद्धी देणारे आहे.
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एकादशी व्रत परिचय
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एकादशी व्रत करने वाला दिव्य फल को प्राप्त करता है ।
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श्री सत्यनारायण भगवान की कथा - तृतीय अध्याय
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सत्यनारायण व्रतके प्रभावसे मनुष्योंकी आत्मा शुद्ध होती है ।
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लोकहितकरव्रत - अभिलाषाष्टक
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व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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रोग हनन व्रत - सर्वव्याधिहरव्रत
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व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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लक्षवर्तिदानव्रत
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व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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श्री सत्यदत्तव्रत पूजा प्रारम्भः
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योगीश्वर श्रीदत्तप्रभूंचे श्रेष्ठ व पापनाशक असे माहात्म्य, श्रीसत्यदत्तव्रतातून व्यक्त होणारे असून मनुष्यांना तात्काळ सिद्धी देणारे आहे.
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लोकहितकरव्रत - गायत्रीपुरश्चरण
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व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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लोकहितकरव्रत - कलिमलहर श्रीकृष्णव्रत
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व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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रोग हनन व्रत - मन्दाग्नि उपशमनव्रत
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व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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स्तुति श्रीनाथजी की
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इस अति पुनीत श्री अनन्त व्रत कथा के अनुष्ठान ही से समस्त पापों का विनाश होता है और मनुष्य सुख तथा समृद्धि को प्राप्त होता है ।
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प्रायश्चित्तव्रत - व्रत ३६ से ४१
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व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।