लक्षप्रमामव्रत

व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।


लक्षप्रमामव्रत

( वसिष्ठाम्बरीसंवाद ) - आषाढ शुक्ल एकादशीको प्रातःस्त्रानादिके पश्चात् भगवानका विधिवत् पूजन करे और विनयावनत होकर भगवानके नामस्मरणसहित एक - एक करके जितने बन सकें प्रणाम करे और एकभुक्त व्रत करके अतिथि आदिका सत्कार करे । इस प्रकार चार महीनेमें एक लाख नमस्कार पूर्ण करके कार्तिक शुक्ल पूर्णिमाको उद्यापन करे तो अभक्ष्यभक्षण, अगम्यागमन, अदृश्य - दर्शन, अपेयपान और अनृत - भाषण आदिसे उत्पन्न होनेवाले सम्पूर्ण पाप नष्ट हो जाते हैं और पुण्यका उदय होता है ।

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Last Updated : January 16, 2012

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