लक्षप्रमामव्रत
( वसिष्ठाम्बरीसंवाद ) - आषाढ शुक्ल एकादशीको प्रातःस्त्रानादिके पश्चात् भगवानका विधिवत् पूजन करे और विनयावनत होकर भगवानके नामस्मरणसहित एक - एक करके जितने बन सकें प्रणाम करे और एकभुक्त व्रत करके अतिथि आदिका सत्कार करे । इस प्रकार चार महीनेमें एक लाख नमस्कार पूर्ण करके कार्तिक शुक्ल पूर्णिमाको उद्यापन करे तो अभक्ष्यभक्षण, अगम्यागमन, अदृश्य - दर्शन, अपेयपान और अनृत - भाषण आदिसे उत्पन्न होनेवाले सम्पूर्ण पाप नष्ट हो जाते हैं और पुण्यका उदय होता है ।