लक्षवर्तिप्रदानव्रत

व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।


लक्षवर्तिप्रदानव्रत

( भविष्यपुराण ) - जिस समय श्रद्धा, सुविधा और अवकाश हो उस समय कपासकी एक लाख बत्तियाँ बनाकर तैलपूर्ण दीपकोंमें ( एक - एक ) रखे और उनका पंक्तिरुपमें प्रज्वालन करके शिव, केशव या हनूमान् आदि किसी भी अभीष्ट देवके मन्दिरमें सुचारुरुपसे स्थापित करके नक्तव्रत करे । इस प्रकार एक, तीन या पाँच आवृत्तियोंमें लक्ष दीपदान पूर्ण करके उद्यापन करे । इससे देवलोककी प्राप्ति होती है ।

N/A

References : N/A
Last Updated : January 16, 2012

Comments | अभिप्राय

Comments written here will be public after appropriate moderation.
Like us on Facebook to send us a private message.
TOP