लक्षवर्तिप्रदानव्रत
( भविष्यपुराण ) - जिस समय श्रद्धा, सुविधा और अवकाश हो उस समय कपासकी एक लाख बत्तियाँ बनाकर तैलपूर्ण दीपकोंमें ( एक - एक ) रखे और उनका पंक्तिरुपमें प्रज्वालन करके शिव, केशव या हनूमान् आदि किसी भी अभीष्ट देवके मन्दिरमें सुचारुरुपसे स्थापित करके नक्तव्रत करे । इस प्रकार एक, तीन या पाँच आवृत्तियोंमें लक्ष दीपदान पूर्ण करके उद्यापन करे । इससे देवलोककी प्राप्ति होती है ।