धारणपारणव्रत

व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।


धारणपारणव्रत

( भविष्योत्तर ) - देवशयनीसे देवप्रबोधिनी पर्यन्त ( चातुर्मास्यके महीनोंमें ) प्रतिदिन प्रातःस्त्रानादिके पश्चात् भगवान स्तवन, पूजन या स्मरण करके ' ॐ नमो नारायणाय ' अथवा ' ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ' का मानसिक जप करे और धारणके दिन ( जितक्रोधादि होकर ) उपवास करे और पारणके दिन एकभुक्त भोजन करे । इस प्रकार कार्तिकी पूर्णिमा - पर्यन्त करके उद्यापन करे तो ब्रह्महत्या - जैसे महापाप भी नष्ट हो जाते हैं ।

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Last Updated : January 16, 2012

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