हिंदी सूची|व्रत|अन्य व्रत| मेधावर्द्धक ग्रहणव्रत अन्य व्रत मौनव्रत शत्रुनाशकव्रत लक्षपूजाव्रत लक्षतुलसीदलार्पणव्रत लक्षप्रमामव्रत लक्षप्रदक्षिणाव्रत लक्षवर्तिप्रदानव्रत लक्षवर्तिदानव्रत गोपद्मव्रत धारणपारणव्रत अश्वत्थोपनयनव्रत अश्वत्थप्रदक्षिणाव्रत द्वादशमासव्रत सम्पत्तिप्रद श्रीव्रत सुतप्रद धर्ममूलव्रत मेधावर्द्धक ग्रहणव्रत अनिष्टहर ग्रहणव्रत वैधव्य योग नाशक सावित्रीव्रत वैधव्यहर अश्वत्थव्रत वैधव्यहर कर्कटीव्रत प्रदोष व्रत वैधव्यहर अश्वत्थव्रत वैधव्यहर कर्कटीव्रत वैधव्यहर विवाहव्रत मेधावर्द्धक ग्रहणव्रत व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है । Tags : dayvratव्रत मेधावर्द्धक ग्रहणव्रत Translation - भाषांतर मेधावर्द्धक ग्रहणव्रत ( प्रयोगवैभव ) - दिनके पूर्वभागमें होनेवाले ग्रहणके पहले दिन प्रातःस्त्रान आदि करनेके अनन्तर सदवैद्यकी सम्मतिके अनुसार ब्राह्मीका सेवन करके व्रत करे । उसके दूसरे दिन ग्रहणके समय सोनेकी शलाका या कुशाके मूल अथवा दूर्वाके अङ्कुरोंसे जीभपर छोटी मखियोंके शहदसे ' ऐ ' लिखे और इसीका जप करे । तदन्तर अग्निस्थापन करके गायके घीकी ८, २८, या १०८ आहुतियाँ देकर गायके दूधकी खीरमें हवनसे बचा हुआ घी मिला दे और ' ॐ प्राणाय स्वाहा ' ' ॐ अपानाय स्वाहा ' ' ॐ व्यानाय स्वाहा ' ' ॐ उदानाय स्वाहा ' और ' ॐ समानाय स्वाहा ' - इन पाँच मन्त्नोसे एक - एक करके पाँच प्राणाहुतियाँ देकर ( अर्थात पाँच ग्रास भक्षण करके ) व्रत करे तो इससे छोटी अवस्थाके छात्रोंकी बुद्धि विकसित होती है और उनका शास्त्रज्ञान बढ़ता है । N/A References : N/A Last Updated : January 16, 2012 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP