श्वयथु ( शोथ ) रोगहरव्रत
( मन्त्नमहार्णव ) - पर्वतकी तलहटीमें, नदी आदिके तीरमें या छायाकी जगह ( वृकादिके मूल ) वे मल - मूत्र या खखार आदि त्यागनेके पापसे श्वयथु रोग होता है ( इसको कोई - कोई दमा भी मानते हैं ) । इसकी शान्तिके लिये
' सर्व इदं वो विश्वतः शरीर०'
का ३०११८ बार जप करे और
' आपो हि ष्ठा मयोभुवः०'
आदिसे चरु ( खीर ) और घीकी एक हजार आहुति दे तथा उपवास करे ।