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उदरान्तरीय रोगोपशमनव्रत

रोग हनन व्रत - उदरान्तरीय रोगोपशमनव्रत

व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।


उदरान्तरीय रोगोपशमनव्रत

( मन्त्नमहार्णव ) - जो मनुष्य ब्रह्मा, विष्णु और महेशमें भेद मानते हैं, उनके उदरगत व्याधियाँ होती है । उनके निवारणके लिये कृच्छ्र और अतिकृच्छ्र चान्द्रायणव्रत, ' उद्यन्भ्राज ०' के दस हजार जप और शिवजीका सहस्त्रघटाभिषेक करनेसे सम्पूर्ण व्याधियाँ दूर होती हैं ।

२. यो ब्रह्मविष्णुरुद्राणां भेदमुत्तमभावतः ।

कुर्यात् स उदरव्याधियुक्तो भवति मानवः ॥ ( शातातप )

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Last Updated : January 16, 2012

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