उदरान्तरीय रोगोपशमनव्रत
( मन्त्नमहार्णव ) - जो मनुष्य ब्रह्मा, विष्णु और महेशमें भेद मानते हैं, उनके उदरगत व्याधियाँ होती है । उनके निवारणके लिये कृच्छ्र और अतिकृच्छ्र चान्द्रायणव्रत, ' उद्यन्भ्राज ०' के दस हजार जप और शिवजीका सहस्त्रघटाभिषेक करनेसे सम्पूर्ण व्याधियाँ दूर होती हैं ।
२. यो ब्रह्मविष्णुरुद्राणां भेदमुत्तमभावतः ।
कुर्यात् स उदरव्याधियुक्तो भवति मानवः ॥ ( शातातप )