गुल्मोपशमनव्रत
( अनुष्ठान - प्रकाश ) - गुरुके हितकर वाक्योंका अहितकर अर्थ करने अथवा मिथ्याहारविहारादिसे बिगड़े हुए वातादि दोष उदय होकर उदरके अंदर दोनों पसवाड़ोंमे और हदय, नाभि तथा वस्तिस्थानमें गुल्म उत्पन्न करते है । उसके निवारणके निमित्त फाल्गुनके व्रतपरिचयमें बतलाये हुए क्रमके अनुसार एक महीनेका ' पयोव्रत ' करे और ' वात आयातु १ भेषज०' इस मन्त्नके दस हजार जप और इसी मन्त्नसे घी और खीरका हवन करे । इससे अनिष्टकर गुल्मका कष्ट दूर हो जाता है ।
१. ॐ वात आयातु भेषज शंभूर्मयो भूनों हदे प्राण आयू षि तारिषत् । ( यजुः संहिता )