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रोगत्रयोपशमनव्रत

रोग हनन व्रत - रोगत्रयोपशमनव्रत

व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।


रोगत्रयोपशमनव्रत

( महाभारत ) - पूर्वोक्त श्वास, कास और कफसे मुक्त होनेके लिये वेदपाठी ब्राह्मणोंको बुलाकर उनसे शिवपूजनपूर्वक रुद्रपाठसहित सहस्रघटाभिषेक करावे और उसके समाप्त होनेपर पचास ब्राह्मणोंको उत्तम पदार्थोंका भोजन कराकर सबको समान रुपसे लाल १ वस्त्र और सुवर्ण दे । अथवा अच्युत २, अनन्त और गोविन्द - इन तीनों नामोंके तीस हजार आठ जप करे और सात्त्विक पदार्थोंको भगवानको अर्पण करके नक्तव्रत करे ।

१. हिरण्यं रक्तवासांसि पञ्चाशद्विप्रभोजनम् ।

सहस्त्रकलशस्त्रानं कुर्याद् रोगस्य शान्तये ॥ ( व्यास )

२. अच्युतानन्तगोविन्द्रत्येतत्रामत्रयं द्विज ।

अयुतत्रयसंख्याकं जपं कुर्याद्धि शान्तये ॥ ( शङ्खरगीता )

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Last Updated : January 16, 2012

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