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सुतहीनत्वदोषहरव्रत

रोग हनन व्रत - सुतहीनत्वदोषहरव्रत

व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।


सुतहीनत्वदोषहरव्रत

( सूर्यारुन ९६ ) - पराये पुत्रोंका प्राणान्त करनेके पापसे पुत्रहीनता प्राप्त होती है । इसकी निवृत्तिके लिये सोनेके पात्रमें सगभी स्त्रीका चित्र बनवाकर उसका पूजन करे और

' आर्यामेनां च सौवर्णी वस्त्राढ्यां विधिदैवताम् । ददेऽहं विप्रमुख्याय पूजिताय विधानतः ॥

गर्भपातनजाद्दोषात्पूर्वपापविशुद्धये ।'

इसका उच्चारण करके सत्पात्रको दे । इसके अतिरिक्त गायत्री अथवा त्र्यम्बक मन्त्नके पचीस सौ जप और व्रत करनेके अनन्तर हवन और ब्राह्मण - भोजन करावे ।

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Last Updated : January 16, 2012

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