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गजचर्महरव्रत

रोग हनन व्रत - गजचर्महरव्रत

व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।


गजचर्महरव्रत

( सूर्यारुण २४० ) - जन्मान्तरमें गजाधिपति होकर गजको मरवा डालनेसे गजचर्मका रोग होता है । यह भी कोढ़की ही श्रेणीमें है । इसमें चर्मके ऊपर खाज और उसके नीचे अनेक चीटियोके काटने - जैसा दर्द होता है । इसकी निवृत्तिके लिये यथाशक्ति सुवर्णके गणेशजी बनवाकर पूजन करे और उन्हींके सम्मुख बैठकर ' ॐ वक्रतुण्डाय हुं ' इस मन्त्नका प्रतिदिन दस हजार जप और एक हजार आहुति दे तथा एक ब्राह्मणको प्रतिदिन मोदक ( लडडू आदि ) भोजन करवाकर स्वयं एकभुक्तव्रत करे । इस प्रकार इक्कीस दिन करके उस सुवर्णप्रतिमाका दान करे तो उससे गजचर्म मिट जाता है ।

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Last Updated : January 16, 2012

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