हिंदी सूची|व्रत|विशिष्ट व्रत|रोग हनन व्रत| उदरगुल्महरव्रत रोग हनन व्रत उपोदघात ज्वर की जानकारी पापसम्भूत ज्वरहरव्रत सर्वज्वरहरव्रत ज्वरहर बलिदानव्रत ज्वरहरर्पणव्रत ज्वरार्तिहरतन्त्नव्रत अतिसारहरव्रत संग्रहणीशमनव्रत अर्शहरव्रत अजीर्णहरव्रत मन्दाग्नि उपशमनव्रत विषूचिकोपशमनव्रत पाण्डुरोगप्रशनमव्रत रक्तपित्तोपशमनव्रत राजयक्ष्मोपशमनव्रत यक्षान्तक दानव्रत यक्ष्मोत्पत्ति यक्ष्मान्तक सानुष्ठान व्रत रोगत्रयोपशमनव्रत शूलरोगोपशमनव्रत गुल्मोपशमनव्रत उदरान्तरीय रोगोपशमनव्रत जलोदरहरव्रत प्लीहोदरहरव्रत उदरगुल्महरव्रत मून्नकृच्छ्रोपशमनव्रत मूत्रकृच्छ्रहरव्रत अश्मर्युपशमनव्रत प्रमेहरोगोपशमनव्रत श्वयथु रोगहरव्रत गण्डमालाशमनव्रत गलगण्डहरव्रत गण्डमालाशमनव्रत गलगण्डहरव्रत कुष्ठरोगोपशमनव्रत विभिन्न कुष्ठोपहरव्रत गजचर्महरव्रत दद्रुहरव्रत नेत्ररोगोपशमनव्रत नेत्रगतसर्वरोगोपशमनव्रत नेत्रादिसर्वरोगहरव्रत भगन्दरहरदानव्रत शीर्षव्रणहरव्रत शेफसव्रणहरव्रत सुतहीनत्वदोषहरव्रत वन्ध्यात्वहरगौरीव्रत सर्वव्याधिहरव्रत प्रसवपीडाहरव्रत रोग हनन व्रत - उदरगुल्महरव्रत व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है । Tags : dayvratव्रत उदरगुल्महरव्रत Translation - भाषांतर उदरगुल्महरव्रत ( सूर्यारुण २९७ ) - इक्षुविकार ( गुड़, शक्कर, चीनी और मिश्री ) आदि चुरानेसे पेटके अंदर अनिष्टकारी फोड़ा उत्पन्न होता है । इन दिनों उसकी ' ट्यूमर ' नामसे प्रसिद्धि है और विशेषज्ञ वैद्य बड़ी सावधानीके साथ अस्त्रक्रियासे उसका निपात करते हैं । किसी स्त्रीके यह हो जाता है तब उसे गर्भस्थलीमें बालक होने - जैसा अभ्यास होता है और वह यथाक्रम उसी प्रकार उसी प्रकार बढ़ता है । परंतु प्रसव - कालकी पूर्ण अवधि पूरी हो जानेपर भी कुछ न हो, तब उस उपद्रवका स्वरुप मालूम होता है । अस्तु, उदरगुल्मके लिये सूर्यारुणमें लिखा है कि गुड़ - धेनुका दान करके ' मुञ्चामि०' सूक्तके एक लाख जप और ' वात आयातु भेषजं०' से शाल्मली ( सेमलवृक्ष ) की समिधाओंमें घी और शक्करकी दस हजर आहुतियाँ देकर ब्राह्मणोंको भोजन करावे और स्वयं व्रत करे । स्त्रीणामार्तवजो गुल्मो न पुंसामुपजायते । अन्यस्त्वसृग्भवो गुल्मः स्त्रीणां पुंसां च जायते ॥ ( छारपाणि ) गुल्मिनामनिलः शान्तिरुपायैः सर्वशो विधिः । ( चरक ) कुपितानिलमूलत्वाद् गूढ़मूलोदयादपि । गुल्मवद्धा विशालत्वाद् गुल्म इत्यभिधीयते ॥ ( सुश्रुत ) संचितः क्रमशो गुल्मो महावास्तुपरिग्रहः । कृतमूलः शिरानद्धो यदा कूर्म इवोन्नतः ॥ ( माधव ) N/A References : N/A Last Updated : January 16, 2012 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP