हिंदी सूची|व्रत|विशिष्ट व्रत|लोकहितकरव्रत| गो पूजन लोकहितकरव्रत अनावृष्युपशमनविधानव्रत वृष्टिप्रदव्रत महामारीशमनविधानव्रत सर्वरोगनाशक धर्मराजव्रत सर्वरोगहर चित्रगुप्तव्रत कलिमलहर श्रीकृष्णव्रत गो पूजन अभिलाषाष्टक पापघट दान कृष्णव्रत गायत्रीपुरश्चरण लोकहितकरव्रत - गो पूजन व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है । Tags : dayvratव्रत गो - पूजन Translation - भाषांतर गो - पूजन किसी सौभाग्यवतीको पुत्र न होता हो तो वह कार्तिक, मार्गशीर्ष या वैशाखके शुक्ल पक्षमें पहले गुरुवारको गो - पूजन प्रारम्भ करे । प्रातःकाल नित्यकृत्यसे निवृत्त होकर अपनी या परायी किसी भी गौको मकानके प्राङ्गणमें पूर्वाभिमुख खड़ी करके स्वयं उत्तराभिमुख होकर शुद्ध जलसे उसका पादप्रक्षालन करे । फिर उसके ललाटको धोकर मध्यमें रोलीका टीका लगावे और अक्षत चढ़ावे । फिर कुछ भोजन, लडडू, पेड़ा, बतासा या गुड़ खिलाकर मुँह धो देवे । फिर करबद्ध नतमस्तक होकर प्रार्थना करे कि ' हे मातः ! मुझे पुत्र प्रदान कर । ' इस प्रकार वर्षभर करना चाहिये । N/A References : N/A Last Updated : January 16, 2012 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP