सर्वरोगनाशक धर्मराजव्रत
( मन्त्नमहोदधि ) - कोई भी रोग किसी भी औषधोपचारसे शान्त न हुआ हो तो प्रातःस्त्रानादिके पश्चात् पवित्रावस्थामें रहकर
' ॐ क्रौं ह्लीं आं वैवस्वताय धर्मराजाय भक्तानुग्रहकृते नमः '
इस मन्त्नका पूर्णतया अभ्यास करके मन - ही - मन अखण्ड जप करता रहे; इससे सम्पूर्ण पाप, ताप और रोग दूर होते हैं ।