दिक कहिये दश १०, काल छः ६, नख बीस २०, बाण पांच ५, इभ आठ ८, दृक् दो २, नख बीस २०, समय छः ६, दिशा दश १०, मनु चौदह १४, राम तीन ३, वेद चार ४, ये क्रमसे मेषादिद्वादशराशियोंके ध्रुवांक जानना, जन्मकुण्डलीमें सूर्यादिग्रह जिस २ राशिमें स्थित हों उन २ के ध्रुवांक एकत्र करनेसे स्पष्ट लग्नायु होती है ॥१॥
इति श्रीमानसागरीजन्मपत्रीपद्धतौ राजपंडितवंशीधरकृतभाषाटीकायां पञ्चाङ्गफलकथनं नाम प्रथमोऽध्यायः ॥१॥