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अध्याय १ - ऋतोरानयनविधि

मानसागरी - अध्याय १ - ऋतोरानयनविधि

सृष्टीचमत्काराची कारणे समजून घेण्याची जिज्ञासा तृप्त करण्यासाठी प्राचीन भारतातील बुद्धिमान ऋषीमुनी, महर्षींनी नानाविध शास्त्रे जगाला उपलब्ध करून दिली आहेत, त्यापैकीच एक ज्योतिषशास्त्र होय.

The horoscope is a stylized map of the planets including sun and moon over a specific location at a particular moment in time, in the sky.


मकरकुंभराशिके सूर्यमें शिशिर ऋतु. मीन, मेषके सूर्यमें वसंत, वृष मिथुनके सूर्यंमे ग्रीष्म, कर्क सिंहके सूर्यमें वर्षा, कन्या तुलाके सूर्यमें शरद्, वृश्चिक धनके सूर्यमें हेमंत ऋतु जानना ॥१॥

ऋतुफल

रुपयौवनवाला, दीर्घसूत्री, अत्यंत गर्ववान्, साधुतायुक्त और कामी शिशिर ऋतुमें जन्म होनेसे मनुष्य होताहै ॥१॥

वसंत ऋतुमें जन्म होनेसे मनुष्य बडा उद्यमी, विचार करनेवाला, तेजवान्, बहुतकार्यका करनेंवाला और अनेक देशके रसका जाननेवाला होता है ॥२॥

जिसका जन्म ग्रीष्मऋतुमें होताहै वह मनुष्य क्रोधवान्, क्षुधालु, कामी, लंबा, शठ, बुद्धिमान् और सदा पवित्र रहनेवाला होताहै ॥३॥

वर्षाऋतुमें जन्म लेनेवाला मनुष्य गुणवान्, भोगोंसे युक्त, राजासे पूज्य, इन्द्रियोंका जीतनेवाला, कुशल और अपने अर्थकी बात करनेवाला होता है ॥४॥

शरद ऋतुमें जन्म लेनेवाला मनुष्य वाणिज्य और खेतीसे जीविकावाला, धन-धान्यसे युक्त, तेजवान्, बहुत मान पानेवाला होताहै ॥५॥

हेमंतऋतुमें जन्म लेनेवाला पुरुष बहुत व्याधियोंसे युक्त, तेजहीन, त्रास पानेवाला, निष्ठुर, छोट और पुष्ट कंठवाला तथा भयसे युक्त होताहै ॥६॥

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Last Updated : January 22, 2014

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