श्रीविक्रमादित्यराज्यके वर्तमान संवत्सरमेंसे एक सौ पैंतीस निकाल डालनेसे वर्तमान शाका होता है और आधे चैत्र अर्थात् चैत्रशुद्धी प्रतिपदासे तिथिमासादिकी गणना जानना ॥१॥
उदाहरण-- जैसे विक्रमादित्यके संवत्सर १९५८ में १३५ हीन किया तो १८२३ शाका हुआ.
तदनंतर करण, गताब्द, अधिकमास, अवममास, अहर्गण आदि जिस ग्रंथके मतसे जाने हो उस ग्रंथसे देखकर लिखे ॥