जन्मराशिके पहिले नवांशमें जिसका जन्म हो वह चुगुल, चंचल, दुष्ट, पापी, कुरुप, शत्रुओंके व्यसनमें आसक्त होता है ॥१॥
दूसरेमें उत्पन्न हुआ भोगी, लडाईकी इच्छा नही करनेवाला, गानेवाले पुरुषकी स्त्रीमें आसक्त हो ॥२॥
तीसरे नवांशमें जन्माहुआ धर्मवान्, सदा व्याधियुक्त, सब सारका जाननेवाला, सर्वज्ञ और देवोंका भक्त होता है ॥३॥
चौथे अंशमें उत्पन्न हुआ मनुष्य दीक्षा लिये गुरुकी भक्ति करनेवाला, जितनी वस्तु पृथ्वीमें हैं तिन सबको लाभ करनेवाला होता है ॥४॥
पांचवें अंशमें उत्पन्न हुआ मनुष्य बडी आयुवाला, बहुत पुत्रोंसे युक्त, सब लक्षणोंसे संपन्न राजा होता है ॥५॥
छठे अंशमें उत्पन्न हुआ मनुष्य स्त्रीसे हाराहुआ, शुभहीन, बडा मानी. नपुंसक, द्रव्यहीन और प्रमाथी होता है ॥६॥
सातवें अंशमें उत्पन्न मनुष्य पराक्रमी, बुद्धिमान्, वीर, लडाईमें जीतनेवाला, बडे उत्साहयुक्त और संतोषी होता है ॥७॥
आठवें अंशवाला कृतघ्नी, ईर्षा करनेवाला, क्रूर, क्लेश भोगनेवाला, बहुत सन्तानवाला, कालमें फलत्याग करनेवाला होता है ॥८॥
नववें नवांशकमें उत्पन्न हुआ मनुष्य क्रियाओंमें प्रवीण, निपुण, अच्छे प्रतापवाला, जितेन्द्रिय और सदाही नौकरोंकरके युक्त होता है ॥९॥
इति राशिनवांशकफलम् ॥