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کَند
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कन्दम्
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
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ଯୋନିକଣ୍ଡୁ
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કંદ
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কন্দ
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कन्दः
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कंद
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କନ୍ଦ
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cloud
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त्रिपत्त्रः
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दण्डकन्दकः
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गाजरम्
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मूलकः
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पालङ्कः
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leek
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आर्द्रकम्
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तैलकन्दः
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पलाण्डुः
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
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उत्तरस्थान - अध्याय ५
आयुर्वेदातील अष्टांग हृदय प्रसिद्ध ग्रंथ आहे. याचे रचनाकार आहेत, वाग्भट. या ग्रंथाचा रचनाकाल ई.पू.५०० ते ई.पू.२५० मानतात. या ग्रंथात औषधि आणि शल्यचिकित्सा दोन्हींचाही समावेश आहे.
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garlic
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गर्जरम्
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tuber
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herb
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bulb
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आर्या सप्तशती - क्ष-कार-व्रज्या
आर्या सप्तशती हा आचार्य गोवर्धनाचार्य यांनी रचलेला पवित्र ग्रंथ आहे.
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प्रथमस्थानम् - षोडशोऽध्यायः
हारीत संहिता, एक चिकित्साप्रधान आयुर्वेदिक ग्रन्थ आहे. ह्या ग्रंथाचे रचनाकार महर्षि हारीत होत, जे आत्रेय पुनर्वसु ऋषींचे शिष्य होते.
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वारिवर्गः - श्लोक ५५१ ते ६०४
अमरकोश में संज्ञा और उसके लिंगभेद का अनुशासन या शिक्षा है। अन्य संस्कृत कोशों की भांति अमरकोश भी छंदोबद्ध रचना है।
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कटु
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स्थूल
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श्रीवामनपुराण - अध्याय १२
श्रीवामनपुराणकी कथायें नारदजीने व्यासको, व्यासने अपने शिष्य लोमहर्षण सूतको और सूतजीने नैमिषारण्यमें शौनक आदि मुनियोंको सुनायी थी ।
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वामनपुराण - अध्याय १२ वा
भगवान विष्णु ह्यांचा वामन अवतार हा पाचवा तसेच त्रेता युगातील पहिला अवतार होय.
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root
Meanings: 79; in Dictionaries: 14
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चतुर्थः भागः - विषाधिकारः
भावप्रकाशसंहिता
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः २६२
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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अध्याय ३६० - स्वर्गपातालादिवर्गाः
अग्निपुराणात त्रिदेव – ब्रह्मा, विष्णु, महेश आणि सूर्य ह्या देवतांसंबंधी पूजा-उपासनाचे वर्णन केलेले आहे.
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काव्यमीमांसा - त्रयोदशो ऽध्यायः
संस्कृत कवि राजशेखरद्वारा द्वारा रचित काव्यमीमांसा अलंकार शास्त्र पर लिखा गया एक विशालकाय ग्रंथ था, जिसमें मूलत: 18 अधिकरण थे। राजशेखर महाराष्ट्र देशवासी थे और यायावर वंश में उत्पन्न हुए थे।
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ३६२
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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रसेन्द्रचिन्तामणि - अध्यायः ७
रसेन्द्रचिन्तामणि चौदाव्या शतकांतील गद्यपद्य मिश्रित ग्रंथ आहे.
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त्रेतायुगसन्तानः - अध्यायः १६३
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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रसविद्या - भाग ९
रसविद्या, मध्यकालीन भारतातील जी आयुर्वेदीक विद्या आहे, त्यातील एक अग्रणी ग्रंथ म्हणजे आनंदकंद.
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उत्तरस्थान - अध्याय ३९
आयुर्वेदातील अष्टांग हृदय प्रसिद्ध ग्रंथ आहे. याचे रचनाकार आहेत, वाग्भट. या ग्रंथाचा रचनाकाल ई.पू.५०० ते ई.पू.२५० मानतात. या ग्रंथात औषधि आणि शल्यचिकित्सा दोन्हींचाही समावेश आहे.
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गोरक्ष-शतकम् -१
प्रस्तुत ग्रंथात हठ योगासंबंधी विस्तृत माहिती देण्यात आलेली आहे.
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रसरत्नसमुच्चय - अध्याय ११
श्रीशालिनाथ कृत रसरत्नसमुच्चय रसचिकित्सा का सर्वांगपूर्ण ग्रन्थ है । इसमें रसों के उत्तम उपयोग तथा पारद-लोह के अनेक संस्कारों का उत्तम वर्णन है अतएव समाज में यह बहुपयोगी सिद्ध हो रहा है ।
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चतुर्थः भागः - योनिरोगाधिकारः
भावप्रकाशसंहिता
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योगचूडामण्युपनिषत्
जन्ममरणाचे निवारण करून ब्रह्मपदाला पोचविणारी विद्या म्हणजे उपनिषद्.
Upanishad are highly philosophical and metaphysical part of Vedas.
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गोरक्ष-शतकम् -२
प्रस्तुत ग्रंथात हठ योगासंबंधी विस्तृत माहिती देण्यात आलेली आहे.
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योगचूडामण्युपनिषत्
उपनिषद् हिन्दू धर्माचे महत्त्वपूर्ण श्रुति धर्मग्रन्थ आहेत. Upanishad are highly philosophical and metaphysical part of Vedas.
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महोपनिषत् - चतुर्थोऽध्यायः
आपल्या प्राचीन वाङ्मयामध्ये उपनिषदांना फार महत्त्वाचे, म्हणजे प्रस्थानत्रयी मधील एक, असे स्थान आहे. Upanishad are highly philosophical and metaphysical part of Vedas. Being the conclusive part of Vedas, Upanishad can be called the whole substance of Vedic
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शार्ङ्गधरसंहिता - द्वितीयं परिशिष्टम्
संहिता हिन्दू धर्मातील पवित्र आणि सर्वोच्च धर्मग्रन्थ वेदांतील मन्त्रांचे खण्ड होत.
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भावमिश्रः भावप्रकाशः - अरीतक्यादिवर्ग
आयुर्वेदातील एक महान ग्रंथ
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