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रामचन्द्र रघुनायक तुमसों ...

भजन - रामचन्द्र रघुनायक तुमसों ...

तुलसीदास हिन्दीके महान कवी थे, जिन्होंने रामचरितमानस जैसी महान रचना की ।


रामचन्द्र रघुनायक तुमसों हौं बिनती केहि भाँति करौं ।

अघ अनेक अवलोकि आपने, अनघ नाम अनुमानि डरौं ।

पर-दुख दुखी सुखी पर सुखते, संत-सील नहिं ह्रदय धरौं ।

देखि आनकी बिपति परम सुख सुनि संपति बिनु आगि जरौं ।

भगति बिराग ग्यान साधन कहि बहु बिधि डहँकत लोग फिरौं ।

सिव सरबस सुखधाम नाम तव, बेंचि नरकप्रद उदर भरौं ॥

जानत हौं निज पाप जलधि जिय, जल-सीकर सम सुनत लरौं ।

रज-सम पर अवगुन सुमेरु करि, गुन गिरि-सम रजतें निदरौं ॥

नाना बेष बनाय दिवस निसि परबित जेहि तेहि जुगुति हरौं ।

एकौ पल न कबहुँ अलोल चित, हित दै पद सरोज सुमिरौं ॥

जो आचरन बिचारहु मेरो कलप कोटि लगि औटि मरौं ।

तुलसीदास प्रभु कृपा बिलोकनि, गोपद ज्यों भवसिंधु तरौं ॥

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Last Updated : December 15, 2007

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