नाहिन भजिबे जोग बियो ।
श्रीरघुबीर समान आन को पूरन कृपा हियो ॥
कहहु कौन सुर सिला तारि पुनि केवट मीत कियो ?।
कौने गीध अधमको पितु ज्यों निज कर पिण्ड दियो? ॥
कौन देव सबरीके फल करि भोजन सलिल पियो?।
बालित्रास-बारिधि बूड़त कपि केहि गहि बाँह लियो? ।
भजन प्रभाउ बिभीषन भाष्यौ सुनि कपि कटक जियो ।
तुलसिदासको प्रभु कोसलपति सब प्रकार बरियो ॥