हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|भजन|तुलसीदास भजन|भजन संग्रह १|
दीनको दयालु दानि दूसरो न ...

भजन - दीनको दयालु दानि दूसरो न ...

तुलसीदास हिन्दीके महान कवी थे, जिन्होंने रामचरितमानस जैसी महान रचना की ।


दीनको दयालु दानि दूसरो न कोऊ ।

जासों दीनता कहौम हौं देखौं दीन सोऊ ॥१॥

सुर नर मुनि असुर नाग साहब तौ घनेरे ।

तौ लौं जौ लौं रावरे न नेकु नयन फेरे ॥२॥

त्रिभुवन तिहुँ काल बिदित बेद बदति चारी ।

आदि अंत मध्य राम साहबी तिहारी ॥३॥

तोहि माँगि माँगनो न माँगनो कहायो ।

सुनि सुबाव सील सुजसु जाचन जन आयो ॥४॥

पाहन, पसु, बिटप, बिहँग अपने करि लीन्हें ।

महाराज दसरथके ! रंक राय कीन्हें ॥५॥

तू गरीबको निवाज, हौं गरीब तेरो ।

बारक कहिये कृपालु ! तुलसिदास मेरो ॥६॥

N/A

References : N/A
Last Updated : December 15, 2007

Comments | अभिप्राय

Comments written here will be public after appropriate moderation.
Like us on Facebook to send us a private message.
TOP