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ऐसी मूढ़ता या मनकी । परिह...

भजन - ऐसी मूढ़ता या मनकी । परिह...

तुलसीदास हिन्दीके महान कवी थे, जिन्होंने रामचरितमानस जैसी महान रचना की ।


ऐसी मूढ़ता या मनकी ।

परिहरि राम-भगति सुरसरिता आस करत ओस-कनकी ॥१॥

धूम समूह निरखि चातक ज्यों, तृषित जानि मति घनकी ।

नहिं तहॅं सीतलता न बारि पुनि, हानि होत लोचनकी ॥२॥

ज्यों गच-काँच बिलोकि सेन जड़ छाँह आपने तनकी ।

टूटत अति आतुर अहार बस, छति बिसारि आननकी ॥३॥

कहॅं लौं कहौं कुचाल कृपानिधि जानत हौं गति जनकी ।

तुलसिदास प्रभु हरहु दुसह दुख करहु लाज निज पनकी ॥४॥

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Last Updated : December 14, 2007

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