आब साधु खेलो डाव । एक बचनसु नीका भाव ॥ध्रु०॥
काहांसो आये बाबा कौन तुमारा धाम ।
कौन तुमारी मुद्रा कौन तुमारा नाम ॥१॥
निरशून्यसो आये बाबा शून्य हमारा धाम ।
मन हमारी मुद्रा । अलख हमारा नाम ॥२॥
कौनसो जोगी कौनसो रावल ।
कौनसो डंबी कौनसो चावल ॥३॥
कौन शक तुम कौन लिखायो ।
कौन पंथ तुमारा गुरु दिखायो ॥४॥
शब्दशब्दका करो उपदेश ।
राखो मुद्रा करो आदेश ॥५॥
हम तो जोगी जोग सब जुग जाबल ।
धरतरी डंबी आधर चावल ॥६॥
किन्ने दीया दंडकमंडलु किन्ने दीया धारी ।
किन्ने भगवा बस्तर । काया कीये ब्रह्मचारी ॥७॥
जिन्ने दीया दंड कमंडल । ब्रह्मा दीये धारी ।
विष्णु दिया भगवा बस्तर । गुरुमुख हो ब्रह्मचारी ॥८॥
बड पिपलकू कित्ते पात । धरितरि गीने कित्ते हात ।
मेघ बरसे कित्ते धारा । गगनमंडलमों कित्ते तारा ॥९॥
बड पिपलकु दो पात । धरतरी गीने औट हात ।
मेघ बरसे एकही धार । गगनमंडलसो दोई तार ॥१०॥
सो सो सैली गैबीनाथ । आलेख मुद्रा पाया सात ।
धीरसो पतर न गैबी प्याला । नवनिख झोली खाये निवाला ॥११॥
काम फाबङी अनुहात तुंड । परचित देखो भयो उजाला ।
कहे रामानंद गुरुमत बाला । उनोके चरन कबीर मीला ॥१२॥