कर बंदे आपने साहेबजीसे यारी । अपने धनिसे यारी कर बंदे ॥ध्रु०॥
बहोत बहोत मिलत हम कर कर देखे । कहू अनरंग करारी ॥१॥
अंधेकी क्या आरसी लंगरेके पंथ । और बहेरेके बकारी ॥२॥
गंडवेकी क्या नोकरी नादान की । सोबत और ठूंठेकी करारी ॥३॥
कहत कबीरा सुन भाई साधु । गुणिजन ये अंधकारकी खुदरत न्यारी ॥४॥