मंतर तंतर सबही जाने । कछु जान नहीं इसमें ।
काहेकू भाई ढोंग धत्तुरा । राम जपो मनमों ॥१॥
बेद पुराना शास्तर पोथी । सबही आपने आपने तनमों ।
कुरान किताब निमाज रोजे । सब भयो दरशनमों ॥२॥
जीदर उदर मुरशद मौला । भरपूर है सब घटमों ।
जंगल जाके क्या देखेगा । फत्तर पानी भरा उनमों ॥३॥
कहत कबीर सुनो भाई साधु । भया उजाला जंगलमों ।
राम नाम बिना मुगत नहीं । यही देखो आपने मनमों ॥४॥