तीरथ जाऊं पानी देखे मूरख देखे फत्तरकी ।
अजोध्या मथुरा काशी गया व्हां सूरत फत्तरकी ॥१॥
देस बिदेस फिरकर यारो जंगल जाकर बैठा है ।
व्हांवी देखे फत्तर पानी फेर मनमों उलटा है ॥२॥
श्रीगुरुरामानंदकी किरपा भयो उने सीस कर धराया ।
तनका तनमों दास कबीरा मौजुद मुरशद छुपाया ॥३॥