हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|भजन|कबीर के दोहे|कबीर के दोहे १०१ से १५०| साधुकी संगत धरो । जनम सार... कबीर के दोहे १०१ से १५० हो मन मूरख बावरा तेरी सदा... कोई क्या जाने पराई मनकी ।... समज मनरे कोई नहीं आपना ॥ध... समज मन संसारकी बाजी बाजी ... समज धर मना । कुई नहीं आपन... धन दौलत ही माल खजीना देखत... मनका मनवो जानो । भाई राम ... कोई कछु मन लागा । दिलबी ल... मत केंव करता हासी । दिवान... भजोरे भया राम गोविंद हरी ... जो तूं पुरान पढे अठरा । ज... जो तुम करीये कोट पाखंडा ।... कैसा जोग कमायाबे ये क्या ... चौरासी आसन बांधके बैठे एक... घर बसत नजर नहीं आवे । बन ... रामनाम तूं भजले प्यारे का... मायाका गुलामगी वो क्या जा... नयन मिटावे काहेकु बैठ अंत... कंचन नारी त्यजकर सुखसे बै... गले बीच सैली कफनी डारा बा... जंगल जाकर काहेकू बैठे सुन... तीरथ जाऊं पानी देखे मूरख ... बह्मन पुरान वाचे दाम लिये... ये तो जोग न पायाबे तनका भ... ये तो फट फजीती बे । दानो ... जिसकू लागी है सो जाने दुज... पंडत जमका करो बखान । ज्या... परखो शब्द निजसारा हंसा । ... भक्तिरसायन बडाजी होवे भवर... कर बंदे आपने साहेबजीसे या... अंधे चाल चलत सब जूठीरे । ... देख देख कर गुंगा बहिरा । ... कायकु देह धरोरे अभागी ॥ क... क्योरे प्रभुजीकूं भजता नह... केत्ते बन रहेयो उदासी ओ भ... पांडे कोन कमथ तोये लागत ।... नजर न आवे आतम ज्योती ॥ध्र... चलो जावोजी कदर नहीं जानीर... साही तेरे इचन न कळो आदेश ... काहेकू जंगल जाता बच्चे । ... जोगी जंगमसे बडा सन्यासी औ... सफेद कलंदर फकीर । बाबा सफ... मंतर तंतर सबही जाने । कछु... हम बिगरे तो बिगरे भाई । त... हरि बोलो भाई हरी बोलो भाई... साधुकी संगत धरो । जनम सार... तीरथ कौन करे । हमारो तीरथ... दश इंद्रिय और पंचप्रान । ... आब साधु खेलो डाव । एक बचन... काय सोचत बारोबारा । हरका ... कबीर के दोहे - साधुकी संगत धरो । जनम सार... कबीर के दोहे हिंदी साहित्य में कबीर का व्यक्तित्व अनुपम है।Kabir mostly known as "Weaver saint of Varanasi". Tags : dohekabirकबीरदोहे कबीर के दोहे Translation - भाषांतर साधुकी संगत धरो । जनम सारथक करो ॥१॥ काहेकू पढता खिन खिन गीता । दो अच्छर मनमों धरो ॥२॥ बेद पुराना शास्तन सुनके । बहोरी चौर्यांशी मत फिरो ॥३॥ एकही राम और कुछ नहीं काम । येही ग्यान ध्यानमों धरो ॥४॥ कहत कबीरा सुनो भाई साधु । सुखके सुख धाम चढो ॥५॥ N/A References : N/A Last Updated : January 07, 2008 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP