हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|भजन|कबीर के दोहे|कबीर के दोहे १०१ से १५०|
पंडत जमका करो बखान । ज्या...

कबीर के दोहे - पंडत जमका करो बखान । ज्या...

कबीर के दोहे

हिंदी साहित्य में कबीर का व्यक्तित्व अनुपम है।
Kabir mostly known as "Weaver saint of Varanasi".


पंडत जमका करो बखान । ज्या दिन नहीं धरती आसमान ॥ध्रु०॥

ज्या दिन धरन गगन सुलपाणी । नहीं सुमेरे मंडना ।

एकविस सागर पसारा नहीं । नहीं रवि शशि भाना ॥१॥

ज्या दिन जोग जुगुत नहीं । पुजा नहीं सुमरन नहीं ध्याना ।

आडसट तीरथ ज्या दिन नहीं । नहीं सुबेद कुराना ॥२॥

गुणी गंधर्व मुनी देवता । नहीं बैकुंठ मैदाना ।

दश अवतार ज्या दिन नहीं । नहीं तीन लोक मंडाना ॥३॥

ज्योती स्वरूप निरंजन नहीं । नहीं सोत्रिगुण तपाना ।

यौही साहेब शेष भयी प्रगट भये । सोही पुरुष पुराना ॥४॥

कहे कबीर ताहेकूं खोजो पावो पद निरबाना ।

नही तो भूल भटकत मत फिरयो छांडो जुगका जाना ॥५॥

N/A

References : N/A
Last Updated : January 07, 2008

Comments | अभिप्राय

Comments written here will be public after appropriate moderation.
Like us on Facebook to send us a private message.
TOP