गले बीच सैली कफनी डारा बांधा लाल जरतारी ।
ऐसी खूप बना है सिद्ध अंदरकी गत न्यारी ॥१॥
राम भजोरे साधु किसन भजोरे । भवजल पार तरोरे ॥ध्रु०॥
तुजे अल्लानें पैदा किया खूप नरतनु खासी ।
बालपनोमें खेल गमाये पडे कालके फांसी ॥२॥
जवान भया हुआ दिवाना आप परावा देखे नहीं ।
भूल गया विषय भोगसे सूद अंतकालकी रही नहीं ॥३॥
बुढ्ढे पहनमों कांपन लागा नाक मुहसे पानी ।
कहत कबीरा सुन भाई साधु अखेर गया बंदखानी ॥४॥