पांडे कोन कमथ तोये लागत । दिनानाथ जपेरे निसदिन जागत ॥ध्रु०॥
ज्यौ बैठे कछु धरम न कहीये ऐसै धरम किसे कहीये भाई ।
बडे बडे मुनिवर मिलके बैठे यामें कोन कसाई ॥१॥
चारो वेद तुम पढ जानयो ज्यो खबर लाधयो भार ।
रामही नामको मरम न ज्यान्यो तूं क्यौं कर उतरेगा पार ॥२॥
पढपढ पोथी भवन गमायो अंतर भय न पायो ।
कहत कबीरा सुन भाईं साधु दुनिया धंदे लगायो ॥३॥