शैव्य n. अमित्रतपन शुष्मिण नामक राजा की उपाधि
[ऐ. ब्रा. ८.२३.१०] । शिबि जाति में उत्पन्न, इस अर्थ से संभवतः यह उपाधि उसे प्राप्त हुई होगी।
शैव्य II. n. सत्यकाम नामक आचार्य का पैतृक नाम
[प्र. उ. १.१, ५.१] ।
शैव्य III. n. एक राजा, जो सृंजय राजा का पिता था
[म. द्रो. परि. १.८.२७४ पाठ] ।
शैव्य IV. n. शिबि देश का एक राजा, जो युधिष्ठिर का श्र्वशुर था । इसका सही नाम गोवासन था । महाभारत में इसे उशीनर राजा का पौत्र कहा गया है । यह एवं काशिराज युधिष्ठिर के सब से बड़े हितचिंतक थे । उपलब्ध नगरी में संपन्न हुए अभिमन्यु के विवाह के समय, यह अपनी एक अक्षौहिणी सेना के साथ उपस्थित हुआ था । भारतीय युद्ध में यह पाण्डवा-पक्ष के प्रमुख धनुर्धरों में से एक था । इसके रथ के अश्व नीलकमल के समान रंगवाले एवं सुवर्णमय आभूषणों से युक्त थे । धृष्टद्युम्न के द्वारा निर्माण किये गये क्रौंचव्यूह की रक्षा का भार इस पर सौंपा गया था, जो इसने तीस हजार रथियों को साथ ले कर उत्कृष्ट प्रकार से सम्हाला था
[म. भी. ४६.३९,५४] ।
शैव्य IX. n. शिबि नरेश सुरथ राजा का नामान्तर
[म. व. २५०.४] ; सुरथ शैब्य देखिये ।
शैव्य V. n. एक यादव राजा, जो युधिष्ठिर की सभा में उपस्थित था
[म. स. ४.५३] । यह अर्जुन का शिष्य था, जिससे इसने धनुर्वेद की शिक्षा प्राप्त की थी ।
शैव्य VI. n. एक क्षत्रिय राजा, जिसे कृष्ण ने पराजित किया था
[म. व. १३.२७] ।
शैव्य VII. n. एक कौरवपक्षीय राजा, जो भीष्म के द्वारा निर्माण किये गये ‘सर्वतोभद्र’ नामक व्यूह के प्रवेशद्वार पर खड़ा हुआ था
[म. भी. ९५.२७] ।
शैव्य VIII. n. शिबि देश के वृषादर्भि राजा का पैतृक नाम, जो उसे शिबि राजा का पुत्र होने के कारण प्राप्त हुआ था
[म. अनु. ९३.२०-२९] ; वृषादर्भि देखिये ।
शैव्य X. n. ०. (सो. पूरू.) एक पूरूवंशीय राजा, जो मत्स्य के अनुसार शिबि राजा का पुत्र था ।
शैव्य XI. n. १. सुवीर देश का एक राजा, जो भारतीय-युद्ध में पाण्डवपक्ष में शामिल था
[भा. १०.७८] । जरासंध के द्वारा गोमंत पर आक्रमण किये जाने पर, उस नगरी के पश्चिम द्वार की रक्षा का कार्य इस पर सौंपा गया था
[भा. १०.५२.११] । इसकी कन्या का नाम रत्ना था, जिसका विवाह अक्रूर से हुआ था
[मत्स्य. ४५.२८] ।