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शाकल

   { śākala }
Script: Devanagari

शाकल

Puranic Encyclopaedia  | English  English |   | 
ŚĀKALA   A city made famous in the Purāṇas. once it was the capital of the Madra kingdom. [Sabhā Parva Chapter 32, Verse 14] , modern scholars opine that the modern Siyalkot was the old Śākala.

शाकल

शाकल n.  देवमित्र (वेदमित्र) शाकल्य नामक आचार्य के शिष्यों का सामूहिक नाम । इसी सामूहिक नाम के कारण इस शिष्यपरंपरा के आचार्य एवं उनके द्वारा संस्कारित ऋग्वेद संहिता ‘शाकल शाखान्तर्गत’ मानी जाती है । पाणिनि के अष्टाध्यायी में भी ‘शाकल’ शब्द का अर्थ भी ‘शाकत्य का शिष्य’ किया गया है ।
शाकल n.  ऐतरेय ब्राह्मण में ‘शाकल’ शब्द का अर्थ एक प्रकार का साँप ऐसा दिया गया है, जो शाकल्य के शिष्यों की ही व्यंजना प्रतीत होती है । वहाँ अग्निष्टोम यज्ञ, रथचक्र के सदृश आदि एवं अंतविरहित होता है, इस कथन के लिए चक्राकार बैठे हुए ‘शाकल’ की उपमा दी गयी है [ऐ. ब्रा. ३.५]
शाकल n.  पाणिनि, कात्यायन, एवं पतंजलि के ग्रंथों में ‘शाकल’ का निर्देश प्राप्त है [पा. सू. ४.१.१८, ३.१२८, ६.१.१२७] , जहाँ सर्वत्र ‘शाकल’ का निर्देश एक सामूहिक नाम के नाते से प्राप्त है । ऋग्वेद प्रातिशाख्य में ‘शाकल’ का निर्देश अनेक बार प्राप्त है [ऋ. प्रा. ६५, ७६, ३९०, ४०३, ६३१, ६३३] । मॅक्स मूलर आदि पाश्र्चात्य वैदिक अभ्यासक, शाकलको एक आचार्य मानते है, जिसने शाकलशाखान्तर्गत प्रचलित ऋकसंहिता का निर्माण किया थाकिंतु यह अभिमत भारतीय वैदिक परंपरा के दृष्टि से भ्रममूलक प्रतीत होता है; क्यों कि, जैसे पहले ही कहा जा चुका है, कि शाकल नामक कोई भी आचार्य प्राचीन वैदिक परंपरा में नहीं था
शाकल n.  वर्तमानकाल में प्राप्त ऋग्वेद की संहिता शाकल शाखा की मानी जाती है । वायु के अनुसार, देवमित्र (वेदमित्र, विदग्ध) शाकल्य के निम्नलिखित पाँच शाखाप्रवर्तक शिष्य थेः---१. मुद्गल; २. गालव; ३. शालीय, ४. वात्स्य, ५. शैशिरेय (शैशर, अथवा शैशिरी) । शाकल्य के यही पाँच शिष्य ऋग्वेद के शाखाप्रवर्तक आचार्य नाम से सुविख्यात हुए। इन आचार्यों के द्वारा प्रणीत ऋग्वेद की विभिन्न शाखाओं की जानकारी निम्नप्रकार हैः-- (१) मुद्गल शाखा---इस शाखा की ऋग्वेद संहिता ब्राह्मण आदि ग्रंथ अप्राप्त है । किंतु उस शाखा का निर्देश ‘प्रपंचहृदय’ आदि ग्रंथों में प्राप्त है । इस शाखा के प्रवर्तक भर्म्याश्र्व मुद्गल नामक आचार्य का निर्देश ऋग्वेद एवं बृहद्देवता में प्राप्त है [ऋ. १०.१०२] ;[बृहद्दे. ६.४६] । इसका वंशक्रम निम्नप्रकार माना जाता हैः-- भृम्यश्र्व-मृद्गल-वध्ऱ्यश्र्व-दिवोदास। (२) गालव शाखा---इस शाखा के प्रवर्तक गालव अथवा बाभ्रव्य पांचाल का निर्देशअष्टाध्यायी’, ‘ऋक्प्रातिशाख्य’, ‘निरुक्त’, ‘बृहद्देवताआदि ग्रंथों में प्राप्त है । इस शाखा की संहिता, ब्राह्मण आदि ग्रंथ अप्राप्य हैं। (३) शालीय शाखा---‘काशिका वृत्ति’ में शलीय का निर्देश एक शाखाप्रवर्तक आचार्य के नाते प्राप्त है । किंतु इस शाखा की संहिता आदि अप्राप्य है । (४) वात्स्य शाखा---पतंजलि के ‘व्याकरणमहाभाष्य’ में वात्सी नामक आचार्य का निर्देश प्राप्त है [महा. ४.२.१०४]किंतु इस शाखा की संहिता आदि अप्राप्य है [भा. २. पृ. २९७] । (५) शैशिरेय शाखा---इस शाखा के संहिता का निर्देश ऋग्वेद अनुवाकानुक्रमणी में प्राप्त है । शौनक के ‘अनुवाकानुक्रमणि’ के अनुसार इस शाखा के संहिता में ८५ अनुवाक, १०१७ सूक्त, २००६ वर्ग एवं १०४१७ मंत्र थे । इस शाखा का एकप्रातिशाख्यभी उपलब्ध है, जो शौनक के द्वारा विरचित है । इस प्रातिशाख्य में वेदमित्र शाकल्य का निर्देश ‘शाकल्यपिता’ एवं ‘शाकल्यस्थविर’ नाम से किया गया है [ऋ. प्रा. १.२२३,१८५]शौनक स्वयं शैशिरेय शाखा का ही आचार्य था, जिस कारण उसके द्वारा विरचित प्रातिशाख्य ग्रंथ ‘शाकल प्रातिशाख्यअथवाशैशिरेय प्रातिशाख्यनाम से सुविख्यात थाशौनक के द्वारा विरचित एक ‘अथर्वप्रातिशाख्य’ भी प्राप्त है, जोचतुराध्यायिकानाम से सुविख्यात है ।
शाकल n.  शाकल शाखा की आद्यसंहिता ‘शाकल्य संहिता’ थी, जिसका निर्देशव्याकरणमहाभाष्य’ में प्राप्त है [महा. १.४.८४]कात्यायन की ‘ऋक्सर्वानुक्रमणी’ एवं शाकल्य का पदपाठ इसी संहिता को आधार मान कर लिखा गया है । इस पदपाठ के अनुसार, शाकल्य के मूल संहिता में १५३८२६ पद थे ।

शाकल

A Sanskrit English Dictionary | Sanskrit  English |   | 
शाकल  mfn. mfn. (fr.शकल) dyed with the substance called शकल, [Kāś.] on [Pāṇ. 4-2, 2]
   relating to a piece or portion, [MW.]
   derived from or belonging or relating to the शाकलs, ix, 200">[Mn. ix, 200] (cf.[Pāṇ. 4-3, 128] )
शाकल  n. m. or n. a chip, piece, fragment, splinter, [ŚBr.] ; [ŚrS.]
शाकल  m. m. (scil.मणि) an amulet made of chips of wood, [Kauś.]
   N. of an ancient teacher, [Cat.]
   a kind of serpent, [AitBr.]
कण्वादि   (pl.) the शाकलs (i.e.) followers of शाकल्य, [RPrāt.] (g.)
   the inhabitants of the town शाकल, [MBh.]
शाकल  n. n. the text or ritual of शाकल्य, [AitBr.] ; [ĀśvGṛ.] ; ---14---
   N. of a सामन्, [ĀrṣBr.]
   of a town of the madras, [MBh.] ; [Kathās.]
   of a village of the बाहीकs, [Pat.] on [Pāṇ. 4-2, 104] , Vārtt. 4.

शाकल

The Practical Sanskrit-English Dictionary | Sanskrit  English |   | 
शाकल [śākala] a.  a. (-ली f.) [शकल-अन्]
   relating to a piece (शकल).
   relating, belonging to or derived from the शाकलs.
-लः   A school of the Ṛigveda or the followers of this school (pl.)
   लम् A brown variety of sandal; शाकलं कपलमिति [Kau.A.2.11.]
   A chip, piece.
   The text or ritual of शाकल्य. -Comp.
-प्रातिशाख्यम्  N. N. of the Ṛigveda Prātiśākhya.
-शाखा   the recension or traditional text of the Ṛigveda as represented by the Śākalas.
-होमः   a particular kind of oblation; मन्त्रैः शाकलहोमीयैरब्दं हुत्वा घृतं द्विजः [Ms.11.256.]

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