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मोहे लगा है प्रेम हरी भजन...

भक्ति गीत कल्पतरू - मोहे लगा है प्रेम हरी भजन...

खास हितचिंतक व प्रेमळ भगिनींसाठी श्रीमती हरिभक्तपरायण वारूताई कागलकर कृत भजनांची " कल्पतरू " सुमनावली.


मोहे लगा है प्रेम हरी भजननका ॥धृ०॥

भजनबिना मोहे कछु नही भावें ।

झूठा है जग सपननका । मोहे० ॥१॥

प्रभुबिन कोई नही है प्यारा ।

पकर ध्यान गुरु चरननका ।मोहे० ॥२॥

अनन्य गुरुपदीं शरण होकर ।

अरपन करो तनमनधनका ।मोहे० ॥३॥

वारी कहे हरी भजन करके ।

मन करलें अब नीका ।मोहे० ॥४॥

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Last Updated : May 07, 2008

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