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अमृत नीका , कहै सब कोई , ...

भजन - अमृत नीका , कहै सब कोई , ...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


अमृत नीका, कहै सब कोई, पिये बिना अमर नहिं होई ।

कोइ कहै, अमृत बसै पताल, नर्क अन्त नित ग्रासै काल ॥

कोइ कहै, अमृत समुन्दर माहीं, बड़वा अगिनि क्यों सोखत ताहीं?

कोइ कहै, अमृत ससिमें बास, घटै-बढ़ै क्यों होइहै नास ?

कोइ कहै, अमृत सुरगाँ, माहिं, देव पियें क्यों खिर-खिर जाहिं ?

सब अमृत बातोंका बात, अमृत है संतनके साथ ।

'दरिया' अमृत नाम अनंत, जाको पी-पी अमर भये संत ॥

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Last Updated : December 25, 2007

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