आदि अंत मेरा है राम, उन बिन और सकल बेकाम ॥
कहा करूँ तेर बेद-पुराना, जिन है सकल सकत बरमाना ।
कहा करूँ तेरी अनुभौ बानी, जिनतें मेरी बुद्धि भुलानी ॥
कहा करूँ येमान-बड़ाई, राम बिना सब ही दुखदाई ।
कहा करूँ तेरा सांख्य औ जोग, राम बिना सब बंधन रोग ॥
कहा करूँ इन्द्रिनका सुक्ख, राम बिना देवा सब दुक्ख ।
'दरिया' कहै, राम गुरु मुखिया, हरि बिन दुखी, रामसँग सुखिया ॥