चल चल रे सुआ तेरे आदराज, पिंजरामें बैठा कौन लाज ?
बिल्लीका दुख दहै जोर, मारै पिंजरा तोर-तोर ॥
मरने पहले मरो धीर, जो पाछे मुक्ता सहज छीर ।
सतगुरु-सब्द ह्रदैमें धार, सहजाँ-सहजाँ करो उचार ॥
प्रेम-प्रवाह धसै जब आभ, नाद प्रकासै परम लाभ ।
फिर गिरह बसाओ गगन जाय, जहँ बिल्ली मृत्यु न पहुँचै आय ॥
आम फलै जहँ रस अनन्त, जहँ सुखमें पाओ परम तन्त ।
झिरमिर-झिरमिर बरसै नूर, बिन कर बाजै तालतूर ॥
जग दरिया आनन्द पूर, जहँ बिरला पहुँचै भाग भूर ।